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खतरे में पड़ा पौराणिक नदी तमसा का अस्तित्व

अपनी पौराणिक मान्यताओं के लिए जानी जाने वाली तमसा नदी के अस्तीत्व पर खतरे का बादल उमड़ता दिखाई दे रहा है. जो नदी कभी राजा दशरथ के शिकार की गवाह हुआ करती थी, उसमें आज गन्ना मिल से निकलने वाली राख फेंकी जा रही है. वहीं पीएम मोदी की तमाम योजनाएं भी इस नदी के उद्धार को लेकर काफी नहीं दिख रहीं.

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Published : Jun 23, 2019, 11:44 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:26 PM IST

तमसा नदी में फेंकी जा रही चीनी मिल की राख.

अंबेडकर नगर:नदियों की साफ-सफाई और उनके अस्तित्व को बचाए रखने के लिए पीएम मोदी की ओर से तमाम योजनाएं चलाई जा रही हैं. इसके बाद भी इन योजनाओं का असर पौराणिक नदी तमसा और उसके सहायक नदियों पर नहीं दिखाई दे रहा है. धार्मिक मान्यताओं से जुड़ी यह नदी अपनी पहचान बचाए रखने के लिए जद्दोजहद कर रही है. वहीं अकबरपुर चीनी मिल से निकली राख नदी में फेंके जाने से इसके अस्तित्व पर खतरा मंडराता जा रहा है.

तमसा नदी में फेंकी जा रही चीनी मिल की राख.

खतरे में तमसा का अस्तीत्व

  • त्रेता युग से जुड़ी है इस नदी की कहानी, राजा दशरथ इस नदी के किनारे जंगलों में शिकार करते थे .
  • जिला मुख्यालय की लाइफ लाइन के रूप में पहचानी जाने वाली तमसा नदी, आज खुद अपना अस्तीत्व बचाने की जद्दोजहद कर रही है.
  • अकबरपुर गन्ना मिल से निकलने वाली राख और कचरे को वर्षों से नदी में फेंका जा रहा है.
  • जनपद मुख्यालय से कुछ ही दूरी पर चक कोडार गांव के पास नदी में फेंकी जा रही है चीनी मिल से निकली राख.

गन्ना मिल से तमसा नदी में मिल का कचरा फेंका जा रहा है, जिससे इसका अस्तिव खतरे में है.
-सीतापती, ग्राम प्रधान

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:26 PM IST

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