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अम्बेडकरनगर: उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी फसल बीमा योजना, कम हो रहा किसानों का रुझान - pradhan mantri fasal bima yojana

उत्तर प्रदेश के अम्बेडकरनगर में किसानों के हितैषी कहे जाने वाली प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से लोगों को मोह भंग हो रहा है. भारत सरकार की यह महत्वकांक्षी योजना है जिस पर पानी फिरता नजर आ रहा है. आंकड़े बता रहे हैं कि इस योजना के प्रति साल दर साल किसानों का रुझान कम होता जा रहा है.

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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में कम हो रहा किसानों का रुझान.

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Published : Jan 17, 2020, 9:49 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:26 PM IST

अम्बेडकरनगर:भारत सरकार द्वारा लागू की गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों के मंसूबों पर पानी फेर रही है. इस योजना के लागू होने से सरकार ने किसानों की तकदीर बदलने का दावा किया था, लेकिन समय के साथ बदले हालात में किसानों की तकदीर नही बदली, लेकिन बीमा कंपनियों की बुलंदी सातवें आसमान पर जरूर पहुंच गई. आंकड़े बता रहे हैं कि इस योजना के प्रति साल दर साल किसानों का रुझान कम होता जा रहा है.

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में कम हो रहा किसानों का रुझान.

खास बातें

  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से लोगों का मोह भंग होता नजर आ रहा है.
  • भारत सरकार की यह महत्वकांक्षी योजना है, जिस पर पानी फिरता नजर आ रहा है.
  • आंकड़ों की माने तो इस योजना के प्रति हर साल किसानों का रुझान कम हो रहा है.
  • इस योजना से किसानों को नहीं बल्कि बीमा कंपनियों को फायदा हो रहा है.
  • बताया जा रहा है कि 2018 में बीमा करने वाली कंपनी प्रीमियम लेकर चंपत हो गईं.
  • दूसरी कंपनियों को फसल बीमा की जिम्मेदारी दी गई, जिसका किसी को पता भी नहीं है.

भारत सरकार की महत्वकांक्षी योजना
भारत सरकार ने साल 2016 में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का शुभारंभ किया था. जिले वार बीमा फसलों की प्राथमिकता तय की गई. अम्बेडकरनगर में खरीफ और रवी की फसलों को तरजीह दी गयी. बताया जा रहा है कि धान की फसल के लिए प्रति हेक्टेयर 1,145 रुपये और गेंहू की फसल के लिए प्रति हेक्टेयर 801 रुपए 66 पैसा बीमा कंपनी ने प्रीमियम के रूप में लेना शुरू किया.

फसल बीमा योजना में घट रही किसानों की रुचि
सरकारी मानकों के अनुरूप यह फैसला हुआ है कि फसल के पूर्ण नुकसान होने पर धान के लिए 57,264 रुपये प्रति हेक्टेयर और गेंहू के लिए 53,444 रुपये प्रति हेक्टेयर दिया जाएगा. सरकार ने तो नियम और कायदे तय कर दिए, लेकिन यह किसानों के लिए नहीं बल्कि बीमा कम्पनी के लिए बेहतर साबित हो रही है. इसी वजह से सरकार द्वारा जोर-शोर से प्रचार प्रसार के बावजूद बहुत जल्द ही किसानों का रुझान इस योजना के प्रति कम होने लगा. कृषि विभाग के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2018 में खरीफ में 33,9584 किसानों में से कुल 41,704 किसानों के फसल का बीमा हुआ और रवी की फसल 43,559 किसानों के फसल का बीमा हुआ, लेकिन वर्ष 2019 में बीमा कराने वाले किसानों की संख्या में भारी कमी आई इस वर्ष खरीफ के लिए 30,093 तो रवी की फसल के लिए महज 22,595 किसानों ने ही फसल बीमा कराया

प्रधानमंत्री फसल बीमा को लेकर किसनों का कहना है कि इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. कंपनी प्रीमियम तो लेती है, लेकिन क्लेम नहीं देती है. बैंक वाले भी जबरन बीमा करा देते हैं. वर्ष 2018 में बीमा करने वाली कम्पनी प्रीमियम लेकर भाग गई.

खरीफ की फसल खराब हुई थी, जिसमें 100 लोगों का दावा आया था, जिसे दिया जा रहा है. रवी की फसल अभी ठीक है, लेकिन बीमा कराने वाले किसानों की सांख्य घट रही है.
-राम दत्त बागला, उप कृषि निदेशक, अम्बेडकरनगर

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:26 PM IST

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