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अम्बेडकरनगर: बेसहारा लाशों के मसीहा बने बरकत अली

अम्बेडकर नगर जिले के अकबरपुर निवासी बरकत अली लावारिस लाशों का मसीहा बने हैं. बरकत अली अब तक 60 लावारिस लाशों का उनके धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार कर चुके हैं.

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बेसहारा लाशों के मसीहा बने बरकत अली

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Published : Feb 28, 2020, 1:15 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:26 PM IST

अम्बेडकर नगर: वो बेसहारों का सहारा है. लावारिश लाशों का मसीहा है. किसी का बेटा बनकर, किसी का पिता बन कर तो किसी का भाई बन कर उसका अंतिम संस्कार करता है.

जिले के अकबरपुर निवासी बरकत अली ने लावारिस लाशों का वारिस बनना खुद की नीयत बना ली है और उसे बखूबी अंजाम दे रहे हैं. बरकत अली अब तक 60 लावारिस लाशों का उनके धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार कर चुके हैं.

बेसहारा लाशों के मसीहा बने बरकत अली.
बरकत अली के अनुसार, समाज सेवा ही उनका धर्म है. जब उन्हें किसी लावारिस लाश मिलने की सूचना मिलती है तो वह बिना किसी देर के वहां पहुंच जाते हैं और अपने खर्च पर उसका अंतिम संस्कार करते हैं. लाश किसी हिन्दू की होती है तो हिन्दू रीति रिवाज से उसका अंतिम संस्कार करते हैं.

यदि किसी मुस्लिम की लाश मिलने पर मुस्लिम रीति रिवाज से उसका अंतिम संस्कार करते हैं. कभी भी जाति धर्म को अपने इस कार्य मे आड़े नहीं आने दिया. उनका कहना है कि अबतक वह 60 लाशों से अधिक लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं और अब यही उनके जिंदगी का मकसद बन चुका है.

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:26 PM IST

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