अम्बेडकरनगर:घाघरा नदी में आई बाढ़ के कारण अम्बेडकरनगर के कई गांव प्रभावित हुए हैं. बाढ़ से प्रभावित लोगों को राहत मुहैया कराने का दावा प्रशासन की तरफ से किया जा रहा है. लेकिन, जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. प्रशासन से इतर ग्रामीणों का दावा है कि मदद के नाम पर उन्हें प्रशासन से सिर्फ आश्वाशन ही मिल रहा है. सारी व्यवस्था वे स्वयं कर रहे हैं. यहां तक कि बाढ़ में फंसे लोगों को निकालने के लिए ग्रामीणों ने चंदा एकत्रित कर नाव की व्यवस्था की और फिर लोगों को बाहर निकाला.
मामला टांडा विकास खंड के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र माझा उल्टाहवा का है. घाघरा नदी में बाढ़ आने के कारण गांव की तकरीबन पांच सौ से अधिक की आबादी प्रभावित है. ईटीवी भारत की टीम ने भी नाव से तकरीबन तीन किमी से अधिक की दूरी तय कर जमीनी वास्तविकता परखने का प्रयास किया. बाढ़ के पानी ने पूरे गांव को अपनी आगोश में ले लिया है. फसलें पूरी तरह डूब गई हैं. जहां खेती हो रही थी, वहां इतना पानी है कि पता ही नहीं चलता कि ये नदी है या खेत. गांव में लोगों के घरों में पानी घुस गया है. गांव की कुछ आबादी को गांव से दूर बंधे पर लाया गया है. जो लोग बच गए हैं वे या तो घर की छत पर हैं या फिर मचान बनाकर उस पर रह रहे हैं. इसमें छोटे बच्चों की संख्या अधिक है. पानी अधिक भर जाने के कारण जानवरों को भी कठिनाई हो रही है. जिला पंचायत अध्यक्ष साधू वर्मा गांव में प्रत्येक परिवार को तीन-तीन किलो फल वितरित कर रहे थे.
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