अलीगढ़: आज पूरा विश्व पशु दिवस यानी वर्ल्ड एनिमल डे मना रहा है. हर साल चार अक्टूबर को विश्व पशु दिवस मनाया जाता है. इस दिन पशुओं के अधिकारों से संबंधित विभिन्न कारणों की समीक्षा की जाती है. ऐसे में हम आपको अलीगढ़ के वेटनरी डॉक्टर विराम वार्ष्णेय के बारे में बताते हैं, जो जानवरों के दर्द को बखूबी समझते हैं. वे आवारा जानवरों को जहां भी घायल देखते हैं, उनका इलाज कर स्वस्थ करने की पूरी कोशिश करते हैं. वर्ल्ड एनिमल डे पर डॉक्टर विराम से ईटीवी भारत ने बातचीत की.
वर्ल्ड एनिमल डे: जानवरों से न करें दुर्व्यवहार, उन्हें भी हैं ये अधिकार
चार अक्टूबर को विश्व पशु दिवस मनाया जाता है. अलीगढ़ के वेटनरी डॉक्टर विराम वार्ष्णेय का मानना है कि आवारा कुत्तों, बिल्लियों, बंदरों और पक्षियों से बुरा व्यवहार नहीं करना चाहिए. उन्होंने पशु सुरक्षा से जुड़े कानून और एक्ट के बारे में ईटीवी भारत से जानकारी साझा की.
डॉक्टर विराम वार्ष्णेय ने बताया कि चार अक्टूबर 1931 में आज ही के दिन इटली में इकोलॉजिस्ट कन्वेंशन हुआ था और इसी दिन से वर्ल्ड एनिमल डे मनाया जाता है. इस दिन का उद्देश्य जानवरों की रक्षा करना और मनुष्य से उनके संबंधों को मजबूत करना है. लॉकडाउन और कोविड-19 महामारी के चलते जानवरों के सरकारी अस्पतालों पर ताला लग गया था. ऐसे समय में डॉक्टर विराम घायल आवारा जानवरों के इलाज में जुटे थे और उन्हें नई जिंदगी दे रहे थे.
पेशे से डॉक्टर विराम वेटनरी डॉक्टर हैं. उनका पशुओं से विशेष लगाव है. वे पशुओं के प्रति लोगों की क्रूरता कम करना चाहते हैं. उनका मानना है कि आवारा कुत्तों, बिल्लियों, बंदरों और पक्षियों से बुरा व्यवहार नहीं करना चाहिए. डॉक्टर विराम बताते हैं कि अलीगढ़ शहर में जानवरों के प्रति लोगों की संवेदनशीलता कम है. लोग जानवरों के दर्द को नहीं समझते हैं. उन्होंने बताया कि कई बार कुत्ते या अन्य जानवर सड़क के किनारे बैठ जाते हैं तो लोग उन्हें पत्थर या डंडे मारकर चोट पहुंचाते हैं, जिससे कई बार उनकी हड्डी टूट या गहरी चोट आ जाती है. उन्होंने बताया कि इस तरह के कई केस सामने आ चुके हैं. डॉ विराम ने बताया कि ऐसे घायल आवारा कुत्तों की नि:शुल्क सर्जरी करके उन्हें नया जीवन प्रदान करने का काम उन्होंने किया है. वे अपनी तरफ से घायल आवारा जानवरों को ठीक करने की पूरी कोशिश करते हैं.
डॉक्टर विराम लोगों से अपील करना चाहते हैं कि अगर बेजुबान जानवरों को खाना नहीं खिला सकते तो इन्हें किसी तरह से चोट न पहुंचाएं. उन्होंने बताया कि मनुष्य के जीवन में जानवरों का महत्वपूर्ण रोल है. उन्होंने बताया कि पशु सुरक्षा के लिए अनेक कानून व एक्ट बनाए गए हैं. इसमें पशु क्रूरता अधिनियम 1833, पशु संरक्षण अधिनियम 1911 और पशु कल्याण अधिनियम 1966 जैसे कानून शामिल हैं. जो पशुओं के प्रति क्रूरता को रोकता है, लेकिन इन कानूनों का पालन नहीं कराया जाता है. लोगों में जागरूकता लाने की जरूरत है.