अलीगढ़:दिल्ली के शाहीन बाग की तर्ज पर सीएए-एनआरसी के विरोध में मुस्लिम महिलाओं ने शाहजमाल के ईदगाह में धरने पर बैठ गई हैं. महिलाएं शहर मुफ्ती मोहम्मद खालिद हमीद के आह्वान पर सीएए के खिलाफ एकजुट हुई हैं. ईदगाह के बाहर सुरक्षा की दृष्टि से पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. जिला प्रशासन ने दो दिन के लिए शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति दी थी.
अलीगढ़ में एनआरसी-सीएए को लेकर धरना. दूसरे दिन भी जारी रहा प्रदर्शन
जिला प्रशासन की अनुमति के बाद आज भी सीएए-एनआरसी के विरोध में ईदगाह में दूसरे दिन भी धरना प्रदर्शन जारी रहा. शहर मुफ्ती मोहम्मद खालिद हमीद ने धरने में शामिल लोगों के साथ दुआ की कि जिस मकसद से वे इकट्ठा हुए हैं, उसमें उन्हें कामयाबी मिले. शहर मुफ्ती ने कहा कि सीएए किसी भी कीमत पर कबूल नहीं है. यह कानून वापस लेना चाहिए. यह कानून न सिर्फ मुसलमानों के लिए खिलाफ है, बल्कि हमारे मुल्क की एकता को नुकसान पहुंचा सकता है.
भारत सेकुलर देश है
प्रदर्शनकारी महिला जेबा खान ने कहा कि सरकार जो भेदभाव वाली राजनीति लेकर आई है, इसे खत्म करें. ये जम्हूरियत वाला मुल्क है, सेकुलर है. इसलिए यहां हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सब बराबर हैं. हमारा ये कहना है कि हमें भी इसमें शामिल किया जाए. CAA में जैसे और लोगों को शामिल किया है. हम भी इसी मुल्क के रहने वाले हैं. हमारे मां-बाप हमारे बाप-दादा सब यहीं से हैं, हम कहां से उनकी प्रूफ लाएं.
प्रदर्शनकारी महिला शीबा खान ने कहा कि ये प्रदर्शन एनआरसी और एनआरपी के खिलाफ हो रहा है. ये कानून मुसलमानों के लिए बहुत ही गलत है. हिंदू-मुस्लिम दोनों को लड़ाने का ये कानून है. हम चाहते हैं कि एनआरसी और सीएए वापस लिया जाए. ये कानून जब तक वापस नहीं होगा, हम प्रोटेस्ट करते रहेंगे.
सीएए-एनआरसी किसी भी कीमत पर कबूल नहीं
शहर मुफ्ती मोहम्मद खालिद हमीद ने कहा कि शाहीन बाग से शुरू धरना पूरे मुल्क के कोने-कोने तक फैल चुका है. शाहीन बाग में धरने को सवा महीना होने को है. अब ये मुल्क के कोने-कोने तक पहुंच गया है. सीएए-एनआरसी किसी भी कीमत पर कबूल नहीं है. ये कानून हमारे मुस्लिम भाइयों के खिलाफ है. ये कानून मुल्क की एकता को नुकसान पहुंचा सकता है. हमें ऐसा कानून नहीं चाहिए. हमारा कहना है कि मुल्क की एकता को नुकसान न पहुंचाया जाए. हम आवाम से यही चाहते हैं कि विरोध करते रहें, बल्कि ऐसी बात कहें जिससे फूल झरे, लेकिन कांटे न निकले. फूल खुशबू देते हैं और कांटे जख्म कर देते हैं.