अलीगढ़: एक महिला की मानसिक स्थिति को पुलिस अपनी चार्जशीट में साबित नहीं कर पाई. इसकी वजह से उसे दो साल के बाद जेल से रिहाई मिल गई. महिला अपने परिवार में दोबारा जाकर काफी खुश है. इस मामले में अलीगढ़ और नालंदा के दो न्यायिक अधिकारियों की मानवीय पहल भी महिला के चेहरे पर खुशी लाने में सार्थक साबित हुई. महिला की मानसिक स्थिति ठीक नहीं होने का इलाज हुआ. इस दौरान नवजात को महिला से अलग रखा गया था, लेकिन अब महिला बच्चे और पति को पाकर खुश है.
पुष्पलता की मानसिक स्थित नहीं थी ठीक
बताया जा रहा है कि नालंदा जिले के थरथरी प्रखंड के खर्जम्मा गांव निवासी पुष्पलता की मानसिक हालत ठीक नहीं थी. वह अचानक घर से निकल गई थी. सन् 2019 में भटकते हुए वह अलीगढ़ पहुंच गई. अलीगढ़ में एक मोहल्ले में बच्चा चोरी के प्रयास में लोगों ने उसे पकड़ लिया और थाना सिविल लाइन पुलिस के हवाले कर दिया. तभी से वह अलीगढ़ जिला कारागार में बंद थी. इस दौरान पुष्पलता आठ महीने की प्रेगनेंट थी. अलीगढ़ के जिला कारागार में ही 16 अगस्त 2019 को उसने एक बेचे को जन्म दिया था, जोकि अब डेढ़ साल का हो चुका है. बेटे का नाम ऋषभ रखा है. पुष्पलता के बेटे को अलीगढ़ के बाल कल्याण समिति की देख-रेख में रखा गया था. दरअसल, पुष्पलता की मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी. बनारस के मानसिक चिकित्सालय में पुष्पलता का इलाज कराया गया था. इलाज के बाद वह स्वस्थ हो गई. इसके बाद उसे अक्टूबर 2020 में फिर से अलीगढ़ के जिला कारागार में लाया गया.
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से मिली मदद