अलीगढ़: उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति व जनजाति आयोग (UP SC/ST Commission) के अध्यक्ष डॉ. रामबाबू हरित ने बहुजन समाज पार्टी (Bahujan samaj party) की प्रमुख मायावती (Mayawati) पर करारा हमला बोला है. उन्होंने मायावती के राजनीतिक करियर से पूर्व अब तक के सफर को लेकर पर कई सवाल खड़े किए हैं. रामबाबू हरित ने उनके पुराने दिनों और वर्तमान की स्थिति में फर्क बताते हुए कहा कि मायावती अब मायावी महिला हो गईं हैं. मायावती ने राजनीति को ही व्यापार बना लिया है. एक वक्त था जब वो दान किए हुए कपड़े पहनती थीं. इसके अलावा उन्होंने बसपा के 'ब्राह्मण सम्मेलन' (Brahmin sammelan) को बसपा का राजनीतिक तुष्टीकरण बताया. डॉ. रामबाबू में शुक्रवार को अलीगढ़ स्थित सर्किट हाउस में अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक में भाग ले रहे थे.
रामबाबू हरित ने बसपा के ब्राह्मण सम्मेलन के आयोजन पर बसपा को आड़े हाथो लिया. उनका दावा है कि प्रबुद्ध वर्ग भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) के पक्ष में है. मायावती चाहे जितना भी जोर लगा लें, लेकिन वो ब्राह्मणों को अपने पक्ष में नहीं कर पाएंगी. समीक्षा बैठक में उन्होंने कहा कि मायावती ने बतौर मुख्यमंत्री (CM) चार बार उत्तर प्रदेश की कुर्सी संभाली, लेकिन दलित समाज (dalit society) के लिए उन्हें जितना काम करना चाहिए वो नहीं किया. उन्होंने मायावती की पूर्ण बहुमत वाली सरकार को घोटाले वाली सरकार बताया. आरोप लगाया कि मायावती के चौथे कार्यकाल में स्वास्थ्य सेवाओं में आठ लाख करोड़ रुपये का घोटाला हुआ, जिसमें तत्कालीन मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा ( Babu Singh Kushwaha) जेल गए. इससे दलित समाज का बहुत बड़ा नुकसान हुआ. उन्होंने कहा कि मायावती की सोच गरीबों का भला करने वाली कभी नहीं रही.
पुराने समय को याद करते हुए यूपी एससी/एसटी आयोग के अध्यक्ष डॉ. रामबाबू हरित ने कहा कि मैंने मायावती को करीब से देखा है. उनका वह दौर भी देखा है, जब उनके पास पहनने के लिए कपड़े नहीं होते थे. लोगों के डोनेट किए हुए कपड़े मायावती पहनती थीं. राजनीति में कदम रखते ही वो अपना पुराना समय भूल गईं और मौका मिलते ही महारानी का रूप धारण कर लिया. उनका कहना है कि आज वो एक करोड़ रुपये की माला पहनती हैं. कभी हीरे-जवाहरात की माला धारण करती हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि बसपा प्रमुख अपने ही लोगों से रुपये की डिमांड करती हैं. मायावती के इस रवैये से दलित समाज पीछे रह गया और गलत तरीके से पैसा अर्जित करने वाले लोग आगे आ गए. मायावती ने भोली-भाली जनता को बरगला कर सरकार बनायी, लेकिन उन्होंने दलितों के विकास के लिए कुछ नहीं किया. मायावती ने राजनीति को व्यापार बना को व्यापार की तरह देखती रहीं.
इसे भी पढ़ें-...तो इस सोशल इंजीनियरिंग फार्मूले के जरिए सियासी बैतरणी पार करना चाहती हैं मायावती