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अलीगढ़: अंडला डिफेंस कॉरिडोर के लिए कटेंगे साढ़े 11 हजार पेड़, वन विभाग ने मांगा हर्जाना - aligarh forest department

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में डिफेंस कॉरिडोर बनाने के लिए अंडला में करीब साढ़े ग्यारह हजार पेड़ काटने पड़ेंगे. इसके एवज में यूपीडा को हर्जाना देना होगा. वन विभाग ने इसके लिए 1.95 करोड़ का हर्जाना तय किया है.

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अंडला डिफेंस कॉरिडोर के लिए काटे जाएंगे पेड़.

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Published : Sep 20, 2020, 1:44 AM IST

अलीगढ़: जिले में डिफेंस कॉरिडोर बनाने के लिए अंडला में करीब साढ़े 11 हजार पेड़ काटने पड़ेंगे. इसके एवज में यूपीडा को हर्जाना देना होगा. दरअसल, अंडला वन विभाग के तहत आता है और यहां व्यापक स्तर पर हरे पेड़-पौधे हैं. डिफेंस कॉरिडोर बनाने के लिए यहां पेड़ काटने होंगे. वन विभाग ने इसके लिए 1.95 करोड़ का हर्जाना तय किया है. इस रकम से साढ़े ग्यारह हजार पौधे लगाने और 5 साल तक उनके रखरखाव का काम वन विभाग को करना है. इसके लिए गभाना तहसील के गांव मौजूपूर में 70 हेक्टेयर जमीन पर वन विभाग पौधारोपण करेगा. यहां पीपल, बरगद, पाकड़, गूलर जैसे पौधे लगाए जाएंगे.

यूपीडा को देना होगा हर्जाना.
खैर के अंडला में 56 हेक्टेयर भूमि पर डिफेंस कॉरिडोर बनने जा रहा है. इसमें से 46 हेक्टेयर पहले वन विभाग का क्षेत्र है. वन विभाग ने इस क्षेत्र को कृषि विभाग को दे दिया था. वहीं अब यह जमीन यूपीडा के नाम पर हो गई है. इस जमीन पर करीब साढे़ ग्यारह हजार पेड़ लगे हुए हैं. इनमें से अधिकांश औषधि वाले पेड़ जैसे बबूल, कंजी, यूकेलिप्टस, शीशम, पाकड़, नीम, बेर प्रजाति के हैं. बताया जा रहा है कि इन पेड़ों को काटने की एवज में वन विभाग अपने एक्ट के मुताबिक एक पेड़ के एवज में 10 पौधे लगवाने के नियम पर काम कर रहा है. इस तरह से करीब-करीब साढ़े ग्यारह हजार पौधे लगवाना यूपीडा से तय हुआ है.
डीएम को लिखा गया पत्र.

इसके लिए तहसील गभाना के मौजूपुर गांव में 70 हेक्टेयर जमीन देखी गई है. वही अंडला में पेड़ काटने और मौजूपूर में नई पौधे लगाने के लिए गड्ढा खोदने से लेकर खाद, पौध खरीदने व पौधारोपण में अगले पांच साल तक रखरखाव के हिसाब से करीब 1.95 करोड़ का हर्जाना यूपीडा से तय किया गया है. बताया जा रहा है कि यूपीडा को पत्र भेजा गया है. हालांकि गुरुसिकरण वन क्षेत्र के मामले में एनजीटी ने निर्देश दिया है कि भारत सरकार, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की पूर्व स्वीकृति के बिना राज्य सरकार किसी भी वन भूमि को गैर वानिकी कार्य हेतु अनुमति नहीं दे सकता है.

वहीं पर्यावरणविद रंजन राना डिफेंस कॉरिडोर को एक अच्छी योजना बता रहे हैं. हालांकि, वे यूपीडा से पेड़ काटने का हर्जाने लेने को केवल औपचारिकता बता रहे हैं. क्योंकि वन विभाग के पास पावर नहीं है कि वह वन क्षेत्र को काटने की अनुमति दे दें और फिर हर्जाना निर्धारित कर लें. क्योंकि यह प्रस्ताव जिलाधिकारी द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार को जाएगा. उसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार भारत सरकार के विशेष परामर्श दाता कमेटी में जाएगा. जिसमें वन्यजीव विभाग, जलवायु परिवर्तन को लेकर अपनी रिपोर्ट देते हैं. वहीं पेड़ काटने से पहले भौतिक सत्यापन भी होता है. फिर जाकर पेड़ काटने के रेट का निर्धारण होता है.

पर्यावरणविद रंजन राना ने कहा कि हरे पेड़ काटने को लेकर हम न्यायालय जाएंगे और जिला प्रशासन से लेकर वन विभाग को पार्टी बनाएंगे, क्योंकि हरित क्षेत्र को बिगाड़ने का काम किया जा रहा हैं.

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