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सरकारी गेहूं को नहीं नसीब हुई छत, बारिश में हो रहा बर्बाद

कोरोना संकट के इस दौर में एक ओर लोगों के सामने अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी जुटाने की चुनौती है, तो प्रशासन की लापरवाही के चलते क्रय केंद्रों पर खुले आसमान के नीचे हजारों मीट्रिक टन गेहूं बारिश में बर्बाद हो रहा है.

बारिश में गेहूं की बर्बादी
बारिश में गेहूं की बर्बादी

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Published : May 20, 2021, 4:19 PM IST

अलीगढ़:प्रशासन की लापरवाही के चलते क्रय केंद्रों पर खुले आसमान के नीचे हजारों मीट्रिक टन गेहूं बारिश में बर्बाद हो रहा है. बारिश होने पर ज्यादातर क्रय केंद्रों पर गेहूं का उठान नहीं हुआ और न ही इसे सुरक्षित रखने के लिए कोई ठोस प्रबंध किए गए. गेहूं की तौल कराने के लिए किसान मंडी में बोरिया लेकर खड़े रहे, लेकिन बारिश के बीच में किसानों को त्रिरपाल भी नहीं मिला और न ही गेहूं को ढकने के लिए कोई इंतजाम किया गया.

खुले में पड़े-पड़े बर्बाद हो रहा हजारों मीट्रिक टन गेहूं
चक्रवाती तूफान तौकते का असर अलीगढ़ में भी देखने को मिला. पिछले 24 घंटे से रुक-रुक कर बारिश हो रही है. जिसकी वजह से मंडी में बने क्रय केंद्रों पर बोरियों में भर कर रखा गेहूं भीग कर खराब हो रहा है. किसानों के गेहूं के साथ क्रय किए गए गेहूं के प्रबंधन में भी लापरवाही की जा रही है. खुले आकाश के नीचे गेहूं बारिश में भीग रहा है. लेकिन, गेहूं को बर्बाद होने से बचाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई.

गेहूं को बारिश से बचाने का इंतजाम नहीं
खुले में पड़े गेहूं की बर्बादी का नजारा बेसवां, विजयगढ़, इगलास, गभाना मंडियों में देखने को मिला. जहां क्रय केंद्रों पर अव्यवस्था के चलते गेहूं भीग रहा है. लोगों का कहना है कि गेहूं का नियमित उठान होता, तो यह स्थिति नहीं आती. गेहूं क्रय केंद्रों पर तिरपाल, पॉलिथीन नहीं होने से किसान खुद ही अपनी व्यवस्था में जुटे हैं. लेकिन, वह भी गेहूं को भीगने से नहीं बचा पा रहे.

शिकायत के बाद भी प्रशासन ने नहीं की कोई व्यवस्था
अलीगढ़ जिले में 106 सरकारी क्रय केंद्रों पर गेहूं खरीद चल रही है. अब तक 95 हजार मीट्रिक टन गेहूं खरीदा जा चुका है. लेकिन, जिले के अधिकारी और कर्मचारी खुले में पड़े गेहूं की तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं. इगलास मंडी के क्रय केंद्र चौकीदार योगेश ने बताया कि मंडी में गेहूं को बेमौसम बारिश से बचाने का कोई इंतजाम नहीं है. किसानों से गेहूं लेकर बोरियों में भरकर खुले में रखने को मजबूर हैं. कई बार अधिकारियों से शिकायत की लेकिन, कोई इंतजाम नहीं किया गया.

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