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सुप्रीम कोर्ट का अलीगढ़ में होने वाली धर्म संसद में दखल से इंकार, साध्वी अन्नपूर्णा ने किया स्वागत... - Supreme Court News

अलीगढ़ में 22 और 23 जनवरी को होने वाली धर्म संसद के आयोजन में दखल देने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है. महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा भारती ने इस फैसले का स्वागत किया है.

ईटीवी भारत.
निरंजनी अखाड़े की महामंडलेश्वर साध्वी अन्नपूर्णा भारती ने दी यह जानकारी.

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Published : Jan 12, 2022, 3:25 PM IST

अलीगढ़:अलीगढ़ में 22 और 23 जनवरी को होने वाली धर्म संसद के आयोजन में दखल देने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है. महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा भारती ने इस फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय को धन्यवाद ज्ञापित किया है और कहा है कि अलीगढ़ में धर्म संसद होगी.

गौरतलब है कि धर्म संसद के आयोजन को लेकर कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. कपिल सिब्बल ने हरिद्वार में हुई धर्म संसद और अलीगढ़ में होने वाले धर्म संसद के मामले को सुप्रीम कोर्ट के सामने रखा था. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया है.

निरंजनी अखाड़े की महामंडलेश्वर साध्वी अन्नपूर्णा भारती ने दी यह जानकारी.

इस बारे में महामंडलेश्वर साध्वी अन्नपूर्णा भारती का कहना है कि यती नरसिंहानंद ने हिंदुत्व की अलख जगाई है. धर्म संसद को रोकने के लिए लोग सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे. साध्वी अन्नपूर्णा भारती ने सुप्रीम कोर्ट का आभार जताया है. उन्होंने कहा कि 22 और 23 जनवरी को होने वाली धर्म संसद में धर्माचार्य अपना काम करेंगे और कानून अपना.

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हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अशोक कुमार पांडेय ने कहा कि धर्म संसद धर्माचार्यों का खुला मंच है और कुछ लोग धर्म संसद को जानबूझकर विवादित कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि धर्म के बचाव और उत्थान के लिए ही धर्म संसद आयोजित की जा रही है. इसमें मार-काट की कोई बात नहीं है. अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए धर्म संसद कर रहे हैं. उन्होंने कहा हम अपनी संस्कृति को जिहाद से मुक्त करना चाहते हैं. यह मानवता और जिहादियों के बीच जंग है.

विरोध की वजह यह है...

गौरतलब है कि उत्तरी हरिद्वार के खड़खड़ी स्थित वेद निकेतन में 17 से 19 दिसंबर तक धर्म संसद आयोजित हुई थी जिसमें जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी ( पूर्व नाम वसीम रिजवी) ने समुदाय विशेष के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की थी. कुछ संतों ने भी विवादित बयान दिए थे जिसकी चहुंओर आलोचना हुई थी. इसी के बाद अलीगढ़ में धर्म संसद के आयोजन को लेकर विरोध के सुर तेज होने लगे.

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