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AMU PhD Entrance Exam 2022: नकल का विरोध करने पर छात्र की पिटाई

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU PhD Entrance Exam 2022) में बुधवार को सोशल साइंस पीएचडी की प्रवेश परीक्षा (Social Science PhD Entrance Exam) में नकल को लेकर छात्रों में विवाद हो गया. वहीं, एएमयू के प्रॉक्टर ने इस मामले को बेबुनियाद बताया है.

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अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में छात्रों में मारपीट

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Published : Jun 29, 2022, 12:49 PM IST

अलीगढ़: यूपी के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU PhD Entrance Exam 2022) में बुधवार को सोशल साइंस पीएचडी की प्रवेश परीक्षा (Social Science PhD Entrance Exam) में मोबाइल से नकल को लेकर छात्रों के बीच विवाद हो गया. बताया जा रहा है कि परीक्षा के दौरान कुछ छात्र मोबाइल से नकल कर रहे थे. एक अन्य छात्र ने इसका विरोध किया था. परीक्षा खत्म होने के बाद उन छात्रों ने विरोध करने वाले छात्र की पिटाई कर दी. वहीं, एएमयू सिक्योरिटी गार्ड के पहुंचने पर हमलावर छात्र मौके से फरार हो गए.

जानकारी के अनुसार, विरोध करने वाले छात्र का नाम ओबेदुल्ला है. उसने परीक्षा कक्ष में हो रही नकल का विरोध किया. इतना हीं नहीं, ओबेदुल्ला ने इसकी शिकायत कक्ष निरीक्षक से भी की. लेकिन, कक्ष निरीक्षक ने छात्र के आरोप को नजरअंदाज कर दिया. वहीं, प्रथम पारी की परीक्षा संपन्न होने के बाद दोनों छात्र अपने साथियों के साथ मिलकर ओबेदुल्ला के साथ मारपीट करने लगे. इस दौरान एएमयू इंतजामियां के सिक्योरिटी गार्ड मौके पर पहुंचे और परिस्थिति को संभाला.

नकल मामले में जानकारी देते एएमयू के प्रॉक्टर वसीम अली और छात्र नबील उस्मानी

छात्र नेता नबील उस्मानी ने बताया कि एएमयू कंट्रोलर और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों को पीएचडी की प्रवेश परीक्षा में मोबाइल द्वारा नकल होने का अंदेशा था. इस मामले में कंट्रोलर, डीन, एग्जामिनेशन सुपरिटेंडेंट ने नकल नहीं होने का भरोसा दिया था. इसके बाद भी सोशल साइंस प्रवेश परीक्षा में दो छात्र मोबाइल से नकल कर रहे थे.

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बता दें कि नकल करने वाले दोनों छात्रों के खिलाफ संगीन धाराओं में मुकदमे भी दर्ज हैं. उनमें से एक छात्र ने मास्टर डिग्री भी अभी तक प्राप्त नहीं की. उसके बावजूद भी उसका पीएचडी प्रवेश परीक्षा फार्म स्वीकृत कर लिया गया, जो नियम के विरुद्ध है. छात्र नेता ओबेदुल्ला ने पीएचडी की प्रवेश परीक्षा को रद्द किए जाने की मांग की है. वहीं, एएमयू के प्रॉक्टर वसीम अली ने बताया कि मोबाइल द्वारा नकल करने का आरोप बेबुनियाद है. इस मामले में डीन फैकल्टी ऑफ सोशल साइंस ने वेरीफाई किया है. किसी को नकल करने का मौका नहीं दिया गया है.

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