अलीगढ़:जिले में जहरीली शराब ने ऐसा तांडव मचाया, जिसकी चीखें अभी भी सुनाई देती हैं. कई घरों के दीपक बुझ गए तो बहुतों के घर उजड़ गए. जिला प्रशासन और सरकार स्तर से भी अलीगढ़ जहरीली शराब कांड में कार्रवाई की गई. कई अधिकारी निलंबित किए गए तो कई शराब माफिया गिरफ्तार किए गए. जहरीली शराब कांड के मुख्य आरोपी ऋषि शर्मा को जिला प्रशासन ने 6 जून को गिरफ्तार कर लिया.
सैकड़ों लोगों की मौत का जिम्मेदार ऋषि शर्मा को जब गिरफ्तार किया गया तो उसकी संपत्ति के बारे में छानबीन की गई. जिला प्रशासन को उसकी करोड़ों की संपत्ति का रिकॉर्ड मिला है. यह संपत्ति प्लॉट, फ्लैट, कृषि भूमि, मकान के रूप में है. साथ ही यह भी जानकारी मिली की जहरीली शराब कांड का मुख्य आरोपी ऋषि शर्मा 22 साल में ही करोड़ों की संपत्ति का मालिक बन गया.
जीजा के ठेके पर सेल्समैन से शुरू किया काम
ऋषि शर्मा 1998 में बुलंदशहर में अपने जीजा के ठेके पर सेल्समैन का काम करता था. यहीं से उसने शराब में होने वाली कमाई को नजदीक से देखा और शराब कारोबार की हर बारीकियों को समझा. इसके बाद उसने अपने लिए ठेका लेने की ठान ली. 2004 में तीन पार्टनर के साथ मिलकर एक ठेका लिया. इसके बाद अपने भाई मुनीश शर्मा के नाम पर ठेका लेने लगा. फिर दोनों भाई शराब कारोबार में उतर आए. 2007 में कांच की बोतल में देशी शराब आती थी तो मिलावट नहीं हो पाती थी, लेकिन 2010 में प्लास्टिक की बोतल के साथ ही नकली शराब का धंधा शुरू हुआ. धीरे-धीरे जब यह धंधा बढ़ा और 2020 तक करीब 15-16 सरकारी शराब के ठेकों को अपने कब्जे में ले लिया. इसके बाद शराब के अवैध धंधे में अनिल चौधरी और अन्य लोगों के साथ हिस्सेदारी बांट ली.
राजनीति में बढ़ाया रसूख
ऋषि शर्मा ने अवैध तरीके से शराब के धंधे को चलाने के लिए राजनीतिक संरक्षण भी लिया. आबकारी विभाग में भी अपनी पहुंच बना ली. इसके चलते ऋषि के सरकारी ठेकों पर आबकारी विभाग ने उंगली तक उठाने की हिम्मत नहीं की. ऋषि शर्मा पहले बसपा में कैबिनेट मंत्री रहे जयवीर सिंह के साथ रहा. बताया जाता है कि जयवीर सिंह के भाजपा में शामिल होने पर भाजपा की सदस्यता ली. जवां में उसके होटल और तहसील कार्यालय के बाहर भाजपा के लगे बोर्ड देखे जा सकते हैं. वहीं भाजपा के नेताओं के साथ फोटो भी वायरल हो रही है. बताया जाता है कि ऋषि शर्मा 2018 में भाजपा में शामिल हुआ था. हालाकि कोई पद नहीं मिला था, लेकिन इस बार ऋषि शर्मा ने अपनी पत्नी को ब्लॉक प्रमुख बनाने के लिए कमर कसी थी. ऋषि की गिरफ्तारी के बाद भाजपा पर दबाव बना. इसे देखते हुए ऋषि शर्मा को निष्कासित करने का पत्र भी जारी कर दिया गया.