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Karnataka Hijab Controversy: AMU की छात्राओं ने बुलंद की आवाज, सुनिए क्या बोलीं... - हिजाब विवाद पर एएमयू छात्रोओं की टिप्पणी

कर्नाटक का हिजाब (Karnataka Hijab Controversy) विवाद एक राजनीतिक मुद्दा बन गया है. इसको लेकर नेताओं के अलग-अलग बयान सामने आ रहे हैं. यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में भी यह मुद्दा छाया हुआ है. वहीं, हिजाब को लेकर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की छात्राओं ने भी अपनी आवाज बुलंद की है. जानिए इन छात्राओं ने क्या कहा...

हिजाब विवाद
हिजाब विवाद

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Published : Feb 15, 2022, 12:46 PM IST

अलीगढ़:कर्नाटक में हिजाब विवाद (Karnataka Hijab Controversy) थमने का नाम नहीं ले रहा है. कॉलेज खुलने के बाद भी छात्राएं हिजाब पहन कर पहुंच रही हैं तो वहीं दूसरी तरफ अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में हिजाब को लेकर प्रदर्शन किया जा रहा है. एएमयू फिलहाल बंद है. लेकिन यहां छात्राएं हिजाब पहन कर कैंपस में आ रही हैं. एएमयू में पढ़ाई करने वाली छात्राओं ने कहा कि हमारे फंडामेंटल अधिकार को छीना जा रहा है. संविधान हमें अधिकारी देता है कि हम जो चाहे पहन सकते हैं तो हिजाब पहनने की आजादी क्यों नहीं है. एएमयू में कोई ड्रेस कोड नहीं है. लेकिन यहां छात्राएं जींस पहन कर आती हैं और हिजाब पहनकर पढ़ने भी पहुंचती हैं.

एएमयू छात्राओं ने कहा कि शिक्षण संस्थाओं में हिजाब पहनने की परमिशन देनी चाहिए, क्योंकि सिख भी अपनी टरबन को हर जगह लगाए रखते हैं. चाहे वे धार्मिक, शैक्षिक संस्थानों में हो या फिर आफिसों में. फिर मुसलमानों को हिजाब हटाने के लिए क्यों टार्गेट किया जा रहा है. एएमयू की छात्राएं हिजाब को धर्मिक नजरिए से भी जोड़ती हैं. छात्रा आफरीन कहती है कि इससे हिफाजत होती है. घूंघट में भी कुछ ऐसा ही कल्चर है. आफरीन कहती है कि अगर जोर जबरदस्ती से किसी लड़की को पर्दा कराया जा रहा है तो ऐसा करने से इनकार कर सकती है.

हिजाब विवाद पर छात्राओं की प्रतिक्रिया

एएमयू की ही छात्रा तन्वी फातिमा ने कहा कि हिजाब को यूपी के चुनाव से नहीं जोड़ना चाहिए. यह हमारे मौलिक अधिकारों में शामिल है कि हम अपने रिलीजन को प्रैक्टिस कर सकते हैं. इसमें कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए. हिजाब पर लोगों का अपना अलग-अलग नजरिया हो सकता है. तन्वी कहती है कि शिक्षण संस्थानों में ड्रेस कोड होना चाहिए. हालांकि, एएमयू में छात्राओं को कुछ भी पहन कर आने की आजादी है. तन्वी कहती है कि हिजाब या किसी लिबास को किसी कानून के दायरे में नहीं बांधना चाहिए.

एएमयू की छात्रा फातिमा सबीहा ने कहा कि दुनिया में सभी को आजादी है कुछ भी पहन सकते हैं. लेकिन जब मुसलमानों पर बात आती है. और महिलाएं चाहती है कि सिर से लेकर पांव तक ढक कर रखें. तो सवाल क्यों उठाते हैं. संविधान हमें हक देता है कि अपने धर्म को प्रमोट और प्रैक्टिस करें तो फिर मुसलमानों के साथ ऐसा क्यों हो रहा है.

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एएमयू के प्रॉक्टर और कानूनविद् प्रोफेसर मोहम्मद वसीम ने बताया कि हिजाब प्रकरण की सुनवाई कोर्ट में चल रही है. इसलिए इस पर टिप्पणी नहीं कर सकते हैं. प्रोफेसर मोहम्मद वसीम ने बताया कि एएमयू में कोई ड्रेस कोड नहीं हैं. विश्वविद्यालय में छात्र-छात्राएं अपनी मर्जी से ड्रेस पहन कर आती हैं.

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