अलीगढ़:जनपद में जहरीली शराब कांड मामले में जांच को लेकर शुक्रवार को मानवाधिकार आयोग की टीम कलेक्ट्रेट पहुंची. टीम ने घटना को लेकर जिलाधिकारी इंद्र विक्रम सिंह से कलेक्ट्रेट के बंद कमरे में बातचीत की. पिछले 4 दिनों से मानवाधिकार आयोग की टीम ने अलीगढ़ में डेरा डाला हुआ है. मानवाधिकार आयोग के सदस्य मनिंदर सिंह गिल ने बताया कि अभी जांच चल रही है. इसलिए कुछ भी कहना प्रीमेच्योर होगा. उन्होंने मीडिया से कहा कि जैसी भी चीजें संज्ञान में आएंगी, उसके हिसाब से आगे जोड़ा जाएगा. कुछ केस कोर्ट में है, कुछ मजिस्ट्रेट के पास है. जांच चल रही है. अभी कुछ कहना ठीक नहीं है.
दरअसल, 2021 में अलीगढ़ जिले में बहुचर्चित जहरीली शराब कांड में करीब 125 लोगों की जान चली गई थी. इस मामले में आरोपी अनिल और सुधीर चौधरी के परिवार की शिकायत पर मानवाधिकार आयोग की टीम जांच के लिए सोमवार को पहुंची थी. इस दौरान सर्किट हाउस पर ठहरी मानवाधिकार की टीम ने पीड़ित परिवार और आरोपी परिवारों के करीब 50 से अधिक लोगों के बयान दर्ज किए. हालांकि, जहरीली शराब कांड को लेकर तत्कालीन जिलाधिकारी चंद्र भूषण सिंह, आबकारी विभाग के अधिकारी व अन्य अधिकारियों के बयान भी शामिल किए जाएंगे. इन सभी को बयान दर्ज कराने के लिए मानवाधिकार आयोग की टीम ने बुलाया है.
जहरीली शराब कांड के आरोपी सुधीर चौधरी के बेटे मनीष की शिकायत पर मानवाधिकार आयोग की टीम जांच के लिए अलीगढ़ पहुंची है. जहरीली शराब कांड में आरोपी अनिल और सुधीर चौधरी के समर्थन में आए लोगों ने झूठे मुकदमे दर्ज किए जाने की लिखित शिकायत की है. अनिल और सुधीर के समर्थकों ने बताया कि उनकी एक भी दुकान से शराब पीकर कोई नहीं मरा है.
अलीगढ़ जहरीली शराब कांड मामले में मानवाधिकार आयोग की टीम ने डीएम से की पूछताछ
अलीगढ़ जहरीली शराब कांड की जांच को लेकर मानवाधिकार आयोग की टीम ने जिलाधिकारी से पूछताछ की है. टीम का नेतृत्व कर रहे मनिंदर सिंह गिल का कहना है कि जब तक जांच पूरी न हो जाए, कुछ नहीं कह सकते.
आरोप है कि अनिल की पत्नी जिला पंचायत सदस्य हैं. वह जिला पंचायत अध्यक्ष की चुनाव की तैयारी में थी. इसी साजिश के तहत उन्हें फंसाया गया है. पीड़ित पक्ष ने अपने बयान दर्ज कराए हैं. अनिल और सुधीर चौधरी के परिजनों ने मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कराई कि उन्हें राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया गया है. बता दें कि अलीगढ़ में मई 2021 में जहरीली शराब कांड से करीब 125 लोगों की मौत हुई थी, जिसमें 88 गिरफ्तारी हुई थी.
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