अलीगढ़: जनरल परवेज मुशर्रफ का अलीगढ़ से खास नाता था. परवेज मुशर्रफ की मां बेगम जरीन अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में पढ़ी थी. यह वक्त 1940 का था, जब वह यहां पढ़ा करती थी. परवेज मुशर्रफ का दुबई के एक अस्पताल में रविवार को निधन हो गया. परवेज मुशर्रफ गंभीर बीमारी एमाइलायडोसिस से जूझ रहे थे. परवेज मुशर्रफ का बचपन दिल्ली में गुजरा था. बाद में बंटवारे के समय वह कराची चले गए. हालांकि उनके दादा हिंदुस्तान में काफी संपन्न थे और टैक्स कलेक्टर हुआ करते थे. ब्रिटिश हुकूमत में उनके पिता बड़े अफसर थे. 2005 में परवेज मुशर्रफ भारत यात्रा के दौरान उनकी मां, पुत्र और भाई अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी पहुंचे थे.
जनरल परवेज मुशर्रफ की मां का अलीगढ़ से बड़ा लगाव था. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में ही उनकी शिक्षा हुई थी. वहीं, परवेज मुशर्रफ के पिता भी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में पढ़े थे. यहीं से जनरल परवेज मुशर्रफ के पिता ने ग्रेजुएशन किया था. एएमयू के पूर्व जनसंपर्क अधिकारी राहत अबरार ने बताया कि 2005 में जब परवेज मुशर्रफ का भारत आना हुआ था, तब उनसे मोबाइल पर बात हुई थी. राहत अबरार ने बताया कि जनरल परवेज मुशर्रफ से दो-तीन बार बात हुई. इस दौरान वह अपनी मां के स्वास्थ्य को लेकर काफी चिंतित थे.
इस दौरान राहत अबरार ने पूरा भरोसा दिया था. 2005 में परवेज मुशर्रफ की मां जरीन , बेटा बिलाल मुशर्रफ और भाई एएमयू पहुंचे थे. यह एक प्राइवेट विजिट थी. क्योंकि मुशर्रफ की मां बेगम जरीन और पिता मुशर्रफुद्दीन दोनों AMU में पढ़े थे. सन 1935 में परवेज मुशर्रफ के पिता ने यहीं ग्रेजुएशन किया था और माँ बेगम जरीन ने 1940 में यूनिवर्सिटी में पढ़ी थी. राहत अबरार ने बताया कि उनके पिता की ग्रेजुएशन की डिग्री 2005 में सौंपी गई थी.
राहत अबरार ने बताया कि हालांकि परवेज मुशर्रफ के परिवार को दिल्ली के नाहर वाली हवेली का रहना बताया जाता है, लेकिन उनका खानदान मेरठ के कोताना गांव के रहने वाले हैं, जिसका डॉक्यूमेंटेशन भी मिला है. इस बारे में उन्होंने जनरल परवेज मुशर्रफ को भी बताया तो उन्होंने भी इसको सही पाया. परवेज मुशर्रफ के बेटे बिलाल ने अपनी दादी बेगम जरीन की बड़ी ख्वाहिश पूरी की थी. जब 2005 में वह उन्हें लेकर अलीगढ़ आए थे.
एएमयू के पूर्व जनसंपर्क अधिकारी राहत अबरार ने बताया कि अलीगढ़ आकर उनकी मां बहुत भावुक थी. पुराने लम्हों को याद कर उनकी आंखों में आंसू आ गए थे. राहत अबरार में बताया कि परवेज मुशर्रफ के बेटे बिलाल ने अपनी दादी की अलीगढ़ आने की बड़ी ख्वाहिश को पूरी किया थी. बेगम जरीन ने 2005 में जामा मस्जिद के साथ ही अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के हॉस्टल को विजिट किया था.