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देश की शिक्षा पद्धति बदल देगी 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति': निशंक

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 (एनईपी) पर राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया गया. जिसमें केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉक्टर रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का कार्यान्वयन भारत की शिक्षा पद्धति को ही बदल देगा.

AMU में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर राष्ट्रीय सेमिनार
AMU में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर राष्ट्रीय सेमिनार

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Published : Dec 4, 2020, 10:19 AM IST

अलीगढ़ः एएमयू में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 (एनईपी) पर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया. जिसमें केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉक्टर रमेश पोखरियाल निशंक ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शिरकत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति' का कार्यान्वयन भारत की शिक्षा पद्धति को ही बदल देगा. ये शिक्षा नीति भविष्य को अतीत से जोड़ता है. उन्होंने कहा कि एनईपी एक्टिविटी, गुणवत्ता और पहुंच की अवधारणाओं पर आधारित है. नयी शिक्षा नीति का उद्देश्य मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने के साथ ही भारत की विविध प्रकृति को क्षेत्रीय भाषाओं से जोड़ता है. डॉ पोखरियाल ने कुछ लोगों के अंग्रेजी के वैश्विक चलन के आधार पर नई शिक्षा नीति के संदर्भ में संदेह जताने पर कहा कि हमें जापान, जर्मनी, फ्रांस और इजराइल जैसे देशों की सफलताओं को देखना चाहिए. जिन्होंने विज्ञान तथा शिक्षा के क्षेत्र में अपनी मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करने के उपयोग के साथ प्रगति की है.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 (एनईपी) पर राष्ट्रीय सेमिनार
नई शिक्षा नीति पर लाखों सुझाव मिले
केन्द्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि एनईपी न केवल छात्रों बल्कि शिक्षकों और संस्थानों की क्षमता के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करेगा. इसके सम्बंध में लाखों सुझाव मिले हैं. उन्होंने कहा कि यदि एनईपी को एक व्यापक दृष्टिकोण से देखते हैं, तो आप पायेंगे कि ये नीति जितनी राष्ट्रीय है, उतनी ही अंतरराष्ट्रीय भी है.अंकों के आधार पर नहीं होगा रिपोर्ट कार्डडॉक्टर पोखरियाल ने कहा कि केवल शिक्षा ही ऐसी चीज़ है जो लोगों को अंधकार से प्रकाश और ज्ञान की ओर ले जाती है. उन्होंने कहा कि देश के 1000 से अधिक विश्वविद्यालयों, 35,000 डिग्री कालेजों और अनगिनत स्कूलों में कार्यरत लोगों का इस नीति को लागू करने में बड़ी भूमिका होगी. उन्होंने कहा कि वर्तमान में 3-6 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को 10+2 पद्धति में शामिल नहीं किया गया है. क्योंकि कक्षा 1 की आयु 6 वर्ष से प्रारंभ होती है. जबकि नई 5+3+3+4 पद्धति में 3 वर्ष की आयु से ही बच्चों को 'प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा' व्यवस्था में शामिल किया गया है. जिसका उद्देश्य बेहतर समग्र शिक्षा, विकास और कल्याण को बढ़ावा देना है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि स्कूलों में छात्रों के प्रदर्शन को रिपोर्ट कार्ड के आधार पर नहीं आंका जाएगा. बल्कि इसके बजाय छात्रों को एक समग्र, बहुआयामी रिपोर्ट के लिए प्रगति कार्ड दिया जाएगा. जो प्रत्येक छात्र की संज्ञानात्मक, स्नेहात्मक, विशिष्टता और साइकोमीटर डोमेन को दर्शाएगा.

एएमयू कई क्षेत्रों में कर रहा प्रगति
नई शिक्षा नीति में विश्वविद्यालय स्तर पर डिग्री कार्यक्रमों की प्रणाली के बारे में बताते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि छात्रों को तीन से चार साल के स्नातक कार्यक्रमों में प्रवेश दिया जाएगा. परन्तु उन्हें इस बात की स्वतंत्रता होगी कि वो एक साल पर भी पाठ्यक्रम छोड़ सकता है. उन्हें डिप्लोमा, दो साल पूरा करने पर एडवांस डिप्लोमा, 3 साल पर स्नातक और 4 साल पूरा करने पर शोध सहित स्नातक डिग्री प्रदान की जाएगी. केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि मुझे गर्व है कि कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर के मार्गदर्शन में एएमयू कई क्षेत्रों में तेजी से प्रगति कर रहा है.
किताब का किया विमोचन
इस मौके पर उन्होंने भौतिकी विभाग के प्रोफेसर एम सज्जाद अतहर और प्रोफेसर एसके सिंह की लिखित पुस्तक 'फिज़िक्स आफ न्यूट्रिनो इंटरैक्शन्स' (कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस द्वारा प्रकाशित) का आभासीय विमोचन भी किया. ये पुस्तक न्यूट्रिनो भौतिकी पर एक उन्नत अध्ययन है. जिसमें न्यूट्रिनो, इसके गुणों, इलेक्ट्रोवीक इंटरैक्शन के मानक मॉडल और लेप्टॉन और न्यूक्लियॉन से न्यूट्रिनो बिखेरने का शैक्षणिक विवरण प्रस्तुत किया गया है.
शिक्षा के क्षेत्र में होंगे बड़े बदलाव
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष प्रोफेसर डीपी सिंह ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में स्कूली और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर परिवर्तन और सुधार लाने की क्षमता है. उन्होंने कहा कि इस नीति से शिक्षा को संज्ञानात्मक क्षमताओं, साक्षरता और संख्यात्मक विशेषताओं का विकास होगा. जिससे सामाजिक, नैतिक, भावनात्मक क्षमताओं और स्वभावों के विकास के रास्ते भी खुलेंगे.

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