अलीगढ़: विजयदशमी के दिन शक्ति बाण लगने के बाद खून के आंसू रोएगा रावण का पुतला. इस बार दशहरा में रावण का यह पुतला खास होगा, जिसे एक मुस्लिम परिवार ने बनाया है. यह परिवार पिछली तीन पीढ़ियों से रावण के पुतले को बनाता आ रहा है. इस बार इन्होंने दशहरे पर अलग रोमांच ले आने के लिए रावण का पुतला अलग तरह से बनाया है, जिसमें भगवान राम का बाण लगने के बाद रावण पहले हंसेगा और फिर खून के आंसू रोएगा.
कई पीढ़ियों से मुस्लिम परिवार रावण का पुतला बना रहा. असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक कहे जाने वाला दशहरा का पर्व काफी हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है. साथ ही सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल के तौर पर मनाए जाने वाले इस उत्सव में हर धर्म के लोग शिरकत करते हैं. परंपरा के अनुसार, राम के द्वारा रावण, कुंभकरण और मेघनाद का वध किया जाता है. उसके उपरांत पुतलों का दहन किया जाता है. इन्हीं पुतलों को बनाने का काम यह मुस्लिम परिवार अपने पूरे परिवार के साथ पिछली तीन-चार पीढ़ियों से करते चले आ रहा है.
इन पुतलों को बनाते समय उनको काफी अच्छा लगता है. पूरे परिवार को लेकर पुतलों का निर्माण करते हैं. लगभग एक महीने से ज्यादा समय लगा कर यह पुतला तैयार करते हैं. इस बार रावण के पुतले को खास आकर्षण रूप में तैयार कर रहे हैं, जिससे वह दहन से पूर्व हंसेगा और उसके बाद खून के आंसू रोएगा. थाना बन्नादेवी क्षेत्र के नुमाइश मैदान में रावण के साथ कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले भी बनाए जा रहे हैं, जिनका दहन विजयदशमी के दिन नुमाइश मैदान में किया जायेगा.
रावण का पुतला तैयार करने वाले कारीगर अशफाक ने बताया कि यह काम दादा के समय का है. इसे करीब साढे तीन सौ बरस हो गया है. यह काम हम दादा परदादा के जमाने से करते चले आ रहे हैं. हमारे पापा इसे करते थे और उन्हीं से हमने सीखा हैं. वहीं अब हम करते चले आ रहे हैं.
अबकी बार इन पुतलों में यह खासियत है कि जब शक्ति बाण से इसे मारा जाएगा तब रावण और ढाल घूमती रहेगी. पहले मुंह हंसता हुआ रहेगा और फिर खून के आंसु रोता हुआ होगा. जिस समय शक्ति बाण लगेगा उस समय खून के अंगारे दिखेंगे. इस बार रावण खून के आंसु रोता हुआ दिखाया जायेगा. वहीं अब की तीन पुतले तैयार किए हैं रावण, कुंभकरण और मेघनाद.
हम पूरे परिवार बच्चों के साथ पुतले बनाते हैं. इनको बनाने में एक महीना लग जाता है. तीनों पुतलों को बनाने में 12 आदमी लगते हैं. इस बार रावण का ठेका 2 लाख 55 हजार हैं. पिछले साल 48 हजार घटे थे. इस बार कमेटी ने 50 हजार बढ़ाये हैं. अब एंड में पता चले कितना पैसा बचेगा क्या होगा.
वहीं अशफाक का कहना है कि हम मुसलमान जरूर है, लेकिन हमें इस बात से कोई एतराज नहीं है. हमें तो इस बात की खुशी है कि जिस समय हम प्रोग्राम करते हैं और रावण जलता है तब जनता तालियां बजाती है, जिससे हमारा हौसला बढ़ता है.