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अलीगढ़: शहर मुफ्ती के फरमान का हुआ असर, अब नहीं अदा की जा रही सड़क पर नमाज - जुम्मे की नमाज

यूपी के अलीगढ़ में खुले में सड़क पर नमाज अदा करने का भारी विरोध हुआ था. इसको देखते हुए प्रशासन और शहर मुफ्ती ने सड़क पर धार्मिक आयोजन करने पर रोक लगा दिया. जिसका असर देखने को मिल रहा है कि अब सड़कों पर नमाज नहीं अदा की जा रही है.

सड़कों पर नहीं अदा की जा रही नमाज.

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Published : Sep 30, 2019, 8:30 AM IST

अलीगढ़:जिले में इस साल जुलाई के महीने में खुले में सड़क पर नमाज अदा करने का भारी विरोध हुआ था. इस पर हिंदूवादी संगठनों ने ऐलान किया था कि मस्जिद के बाहर नमाज अदा होगी तो मंदिरों के बाहर हर मंगलवार और शनिवार को हनुमान चालीसा पढ़ा जाएगा. इस पर काफी तनाव व्याप्त हो गया था. इसको देखते हुए जिला प्रशासन ने सड़क पर किसी भी धार्मिक आयोजन करने पर रोक लगा दिया. वहीं शहर मुफ्ती को भी ऐलान करना पड़ा कि सड़क पर नमाज नहीं अदा की जाएगी. मस्जिद की छतों पर नमाज पढ़ी जाएगी.

सड़कों पर नहीं अदा की जा रही नमाज.


सड़क पर नहीं की जा रही नमाज अदा
शहर मुफ्ती ने कहा कि ईद, बकरीद और अंतिम जुमा की नमाज के खास मौके पर जामा मस्जिद और ईदगाह पर सड़क पर नमाज अदा कर सकेंगे. क्योंकि मस्जिद में भारी भीड़ के मद्देनजर जगह कम पड़ जाती है. वहीं दो महीने बाद अब जिले में कोई टकराव नहीं है. शुक्रवार और अन्य दिनों पर होने वाली नमाज सामान्य तरीके से मस्जिदों के अंदर हो रही है.


शहर मुफ्ती ने की थी सड़क पर नमाज न अदा करने की अपील
मुस्लिम धार्मिक नेता गुलजार अहमद ने बताया कि जिला प्रशासन ने पहले ही कहा था कि कोई भी धार्मिक आयोजन सड़क पर नहीं होगा. वहीं मुसलमानों के विशेष धार्मिक आयोजन पर शहर मुफ्ती ने फरमान जारी किया था कि सड़क पर नमाज अदा न करें. इसके बाद से मुस्लिम समुदाय ने मस्जिदों की छतों पर नमाज अदा की. सड़क पर कहीं नमाज अदा नहीं की गई. शहर मुफ्ती ने मुस्लिम आवाम से अपील की थी जिसका असर हुआ.

पढ़ें:- मेरठ: सड़कों पर नमाज न पढ़ने के फरमान को लोगों ने किया स्वीकार

अखिल भारत हिंदू महासभा के प्रवक्ता अशोक पाण्डे ने कहा कि हमने नमाज का विरोध नहीं किया था. उन्होंने बताया कि मुस्लिम की तरह हिंदूवादी संगठनों ने हनुमान चालीसा सड़क पर करना शुरू कर दिया था. इस पर जिला प्रशासन को मजबूर होकर मुसलमान समुदाय को रोकना पड़ा. उन्होंने कहा कि प्रशासन को यह काम पहले ही कर देना चाहिए था, ताकि हिंदूवादी संगठनों को इस तरह की कवायद नहीं करनी पड़ती. आज मस्जिदों की छत पर नमाज अदा की जा रही है. यह बहुत ही अच्छा है.

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