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भाई के हत्यारे की गिरफ्तारी के लिए घेरा थाना

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Published : Dec 9, 2020, 11:57 PM IST

अलीगढ़ जिले के टप्पल थाना क्षेत्र के गांव पीपली में नीरू हत्याकांड में पीड़ित परिजनों ने पुलिस पर कोई कार्रवाई न करने का आरोप लगाया है. 75 दिन बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होने पर पीड़ित परिवार थाने पहुंचकर धरने पर बैठ गया. नीरू की हत्या 25 सितम्बर को हुई थी.

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पीड़ित परिवार ने किया थाने घेराव

अलीगढ़ : जिले की पुलिस फरियादियों की परेशानी को नजरअंदाज करती है, जिसके चलते पुलिस व्यवस्था पर सवाल खड़े होते हैं. दरअसल अलीगढ़ के थाना टप्पल क्षेत्र के गांव पीपली में नीरू हत्याकांड पीड़ित परिजनों कहना है कि पुलिस ने निर्दोष को जेल भेज दिया. हत्यारे खुलेआम घूम रहे हैं.

75 दिन बाद भी कोई कार्रवाई न होने पर पीड़ित परिवार ने थाने का घेराव किया और वहीं धरने पर बैठ गया. पीड़ित परिवार ने दो दिन पहले नीरू की हत्या का खुलासा नहीं करने पर थाने का घेराव कर परिसर में धरना देने की घोषणा की थी, लेकिन पुलिस गंभीर नहीं हुई. नीरू की हत्या 25 सितम्बर को हुई थी.


निर्दोषों को फंसाया

नीरू की हत्या का आरोप गांव के ही कुछ लोगों पर है. इसमें बताया जा रहा है कि आरोपियों ने सांठ-गांठ करके थाना टप्पल में स्वरूप व अन्य व्यक्तियों पर मुकदमा लिखवा दिया. मुकदमे में आरोपी ही गवाह बन गए, लेकिन जब दूसरे दिन मृतक के भाई के द्वारा थाना टप्पल पुलिस को जानकारी दी गई कि जो तहरीर पीड़ित के द्वारा दी गई थी. उस तहरीर में आरोपियों के द्वारा ही नाम लिखवाए गए थे और वे ही गवाह बन गए.

पीड़ित परिजनों ने आरोप लगाया है कि निर्दोष लोगों को साजिशन फंसा दिया गया. लेकिन पुलिस के द्वारा पीड़ित की एक न सुनी गई और बेकसूर लोगों को जेल भेज दिया गया. वहीं जब पीड़ित ने अन्य आला अधिकारियों को प्रार्थना पत्र देते हुए कहा कि बीते दिनों हुई उसके भाई नीरू की हत्या के मुकदमे में बन्द आरोपी बेगुनाह है. असली गुनहगार बाहर घूम रहे हैं. इसके बाद भी ढाई महीने तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. पीड़ित का कहना है उसके भाई नीरू की हत्या के असली कातिल हरिया और अन्य लोग आज भी धमकी देते हैं.


पुलिस की कार्यशैली के चलते धरने पर बैठे

न्याय न मिलने पर पीड़ित पक्ष के द्वारा टप्पल थाने का घेराव करते हुए परिवार के साथ धरने पर बैठा गया. न्याय की आस लगाकर आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग कर रहा है. पीड़ित पक्ष का आरोप है कि 75 दिन से ज्यादा पुलिस अधिकारियों के चक्कर लगाते गुजर गये. लेकिन इंसाफ नहीं मिला. परिजनों को बिना बताए पुलिस को तहरीर लिख कर दे दी गई. तहरीर पर धोखे से दस्तखत करवा लिये गए. पीड़ित पक्ष ने आरोप लगाया की बेगुनाह जेल में हैं. हत्यारे बाहर घूम रहे हैं. पुलिस की कार्यशैली के चलते मजबूर होकर परिवार को धरने पर बैठना पड़ा है.

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