अलीगढ़ : उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश पर गठित एसआईटी हाथरस गैंगरेप मामले की जांच कर रही है. हालांकि प्रदेश सरकार इस मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश भी कर चुकी है. इन दोनों जांच में पीड़िता का वह बयान भी महत्वपूर्ण होगा, जो उसने अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कॉलेज में दिया था. हॉस्पिटल के डॉक्टर हमजा मलिक के अनुसार, 22 सितंबर को जब पीड़िता की हालत बिगड़ने लगी थी, तब उससे पुलिस और मैजिस्ट्रेट की मौजूदगी में 'डाइंग डिक्लेरेशन' यानी अंतिम बयान लिया गया था. हालांकि हाथरस पुलिस बयान के दौरान मैजिस्ट्रेट की उपस्थिति से इनकार कर रही है. अपने बयान में पीड़ित लड़की ने रेप की बात कही थी और आरोपियों के नाम भी बताए थे. इस संबंध में एक वीडियो भी वायरल हुआ था.
कैसे सामने आई गैंगरेप की बात
अलीगढ़ के मेडकिल कॉलेज में गैंगरेप पीड़िता का इलाज कर रहे डॉक्टर ताबिश ने उसकी मौत के दूसरे दिन बयान दिया था. डॉक्टर ताबिश ने कहा था कि पीड़िता को जब होश आया तो उसने अपने साथ हुए गलत काम की जानकारी दी थी. उस समय उसके पैर और हाथ काम नहीं कर रहे थे. बयान के बाद गायनिक और फरेंसिक डिपार्टमेंट को जांच के लिए बुलाया गया. दोनों विभाग के डॉक्टरों ने अपनी जांच में क्या पाया, इसका खुलासा नहीं किया गया. डॉक्टर ताबिश ने बताया कि जांच के बाद मेडिकल हिस्ट्री के आधार पर पीड़िता की जांच की गई.
पहली चूक तो हाथरस जिला अस्पताल में हुई
वारदात के बाद 14 सितंबर को पीड़िता को पहले हाथरस के जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां से डॉक्टरों ने गले में चोट का हवाला देकर उसे अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया था. यहां पर पीड़िता की चोटों की मेडिको-लीगल जांच हुई, जिसमें शरीर के बाहरी हिस्सों यानी गर्दन में चोट, कंधे पर खरोंच, पीठ पर चोट मिली. वहां उसके साथ हुए रेप की जांच नहीं हुई.