अलीगढ़:जिले में सड़क पर हनुमान चालीसा और नमाज पढ़ने को लेकर हो रहे विवाद के बीच में शहर मुफ्ती मोहम्मद खालिद हमीद ने मीडिया के सामने आकर बयान दिया है. ऊपर कोट इलाके में स्थित कार्यालय में उन्होंने कहा कि ईद बकरीद और अलविदा जुमे की परंपरागत नमाज जैसे हो रही है वैसे होने दें.
शहर मुफ्ती मोहम्मद खालिद हमीद का कहना है
जब सड़कों पर नमाज होती है तो दूसरा समुदाय भी सड़क पर हनुमान चालीसा पढ़ने की बात कह रहा है. इसमें प्रशासन भी परेशान है और हम भी परेशान है. जामा मस्जिद और ईदगाह पर वर्षों से सड़क पर नमाज अदा की जा रही है.
उन्होंने कहा अगर नमाजी ज्यादा हो जाते हैं कि मस्जिद में नमाज अदा नहीं कर पाते, तो उन्हें प्रशासन से अनुमति लेकर नमाज पढ़नी चाहिए. उन्होंने कहा कि जो परंपरा रही है वह चलती रहेगी इसको खत्म नहीं करेंगे. साल भर जो जुमे की नमाज होती है वह मस्जिदों में ही अदा करें.
सड़क पर न पढ़े साल भर पड़ने वाले जुमें की नमाज. उन्होंने कहा कि सैकड़ों सालों से मस्जिद में नमाज अदा की जा रही है, लेकिन कुछ लोग शरारत कर रहे हैं, जिससे टकराव पैदा होने की स्थिति है. हमें टकराव से बचना है. उन्होंने कहा कि हम टकराव नहीं चाहते. मोहम्मद खालिद हामिद ने कहा कि जिन मस्जिदों में ज्यादा नमाजी हैं. सड़क पर वैसे ही नमाज अदा करें. ऐसी स्थिति मजबूरी में आती है.
उन्होंने कहा कि मुसलमानों की वजह से कोई परेशानी होती है तो मैं हमेशा प्रशासन के साथ बातचीत करने के लिए तैयार हूं. आज हम किसी वजह से अगर लड़ रहे हैं. तो कल एक होंगे और हमारी कोशिश है कि टकराव की कोई नौबत ही न आए.
स्थानीय मुस्लिम नेता गुलजार अहमद ने बताया
हमने लोगों से अपील की है कि रमजान, ईद और अलविदा जुमा की नमाज़ कई सालों से सड़क पर हो रही है. बाकी साल के जितने भी जुमे हैं. उस पर बाहर सड़क पर नहीं अदा करें. मस्जिदों के अंदर नमाज अदा करें. अगर जगह नहीं है तो मंदिर के छत पर और बेसमेंट पर नमाज़ पढ़ लें. लेकिन सड़क पर नमाज ना पढ़े.
अशोक पांडे ने शहर मुफ्ती के बयान की तारीफ की
अखिल भारत हिंदू महासभा के अशोक पांडे ने शहर मुफ्ती के बयान को अच्छा कदम बताया है. अगर मस्जिद के आगे जगह है और मस्जिदों की छत पर नमाज़ अदा कर सकते हैं तो यह उचित कदम है. प्रशासन को चाहिए 2018 में जिन नमाजों के लिए परमिशन दी गई थी. उनको परंपरागत तरीके से अनुमति प्रदान करें.