अलीगढ़ : राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) ने पार्टी को मजबूत करने के लिए किसान महापंचायत शुरू किया है. लेकिन अलीगढ़ में पिछले कई सप्ताह से जिलाध्यक्ष का पद खाली पड़ा है. वहीं कार्यकर्ता जिलाध्यक्ष बनाने की मांग कर रहे हैं. कभी राष्ट्रीय लोक दल का अलीगढ़ व हाथरस क्षेत्र में दबदबा रहता था. लेकिन अब कई सप्ताह गुजर जाने के बाद भी शीर्ष नेतृत्व नए जिलाध्यक्ष की खोज नहीं कर पाया है. भानु प्रताप सिंह के इस्तीफा देने के बाद से जिलाध्यक्ष का पद रिक्त पड़ा है. वहीं इससे किसान आंदोलन और आने वाले पंचायत चुनाव की तैयारियां प्रभावित हो रही हैं. हालांकि अलीगढ़ में रालोद के जिलाध्यक्ष बनने की दौड़ में कई लोग शामिल हैं. इनमें पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष नवाब सिंह छोकर और पूर्व जिला अध्यक्ष राम बहादुर सिंह सहित कई लोग शामिल हैं.
काफी दिनों से खाली चल रहा जिलाध्यक्ष का पद. अलीगढ़ की सियासत से था चौधरी चरण सिंह को लगाव किसानों के मसीहा कहे जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का अलीगढ़ की सियासत से विशेष लगाव था. अलीगढ़ में खैर और इगलास विधानसभा क्षेत्र जाट बाहुल्य है. इगलास विधानसभा क्षेत्र को मिनी छपरौली भी कहा जाता है. यहां चौधरी चरण सिंह की पत्नी गायत्री देवी एक लाख से चुनाव जीती थी तो वहीं अजीत सिंह की बहन डॉक्टर ज्ञानवती ने खैर विधानसभा से चुनाव लड़ा था और क्षेत्र की जनता ने विधायक भी चुना था. चौधरी चरण सिंह के खास माने जाने वाले चौधरी राजेन्द्र सिंह इगलास से तीन बार विधायक चुने गए.
दिग्गजों ने छोड़ा रालोद का साथ
अलीगढ़ में तीन विधानसभा क्षेत्रों में रालोद की मजबूत पकड़ थी. इसमें इगलास, खैर और बरौली विधानसभा क्षेत्रों में रालोद ने चुनाव भी जीता था. 2007 में इगलास विधानसभा से विमलेश चौधरी और खैर विधानसभा से चौधरी सत्यपाल सिंह ने चुनाव जीता था. 2009 में लोकसभा चुनाव में हाथरस सुरक्षित सीट पर राष्ट्रीय लोक दल के प्रत्याशी सारिका सिंह बघेल सांसद चुनी गई थी. वहीं 2012 के विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोक दल ने अलीगढ़ की इगलास, खैर और बरौली सीट पर कब्जा किया था. इसमें खैर से भगवती प्रसाद सूर्यवंशी, खैर विधान सभा से त्रिलोकी राम दिवाकर, बरौली विधान सभा से ठाकुर दलवीर सिंह ने जीत दर्ज की थी. दलवीर सिंह इसके बाद भाजपा में शामिल हो गए. वहीं त्रिलोकी राम दिवाकर ने कांग्रेस का दामन थाम लिया.
कभी रालोद का रहता था दबदबा
अलीगढ़ की सियासत में रालोद का दबदबा रहता था, लेकिन ठाकुर दलवीर सिंह के भारतीय जनता पार्टी में जाने से पार्टी को झटका लगा तो वहीं खैर के पूर्व विधायक चौधरी सत्यपाल सिंह और रालोद के कद्दावर नेता चौधरी कल्याण सिंह के भाजपा में चले जाने के बाद स्थितियां बदल गई. रालोद को एक के बाद एक झटके लग रहे हैं. 2019 में इगलास विधानसभा उपचुनाव में रालोद की प्रत्याशी सुमन दिवाकर का नामांकन भी रद्द हो गया था.