अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में ट्रिपल तलाक व सबरीमाला मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर चर्चा की गई. परिचर्चा मौलाना आजाद लाइब्रेरी के सभागार में आयोजित की गई. यह दोनों ही विषय नारी से जुड़े हुए हैं. इसलिए लैंगिक न्याय के संघर्ष पर वक्ताओं ने अपनी बात रखी. सपा प्रवक्ता और एडवोकेट अब्दुल हफीज गांधी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में जो मसले आते हैं. वह संवैधानिक लिहाज से देखे जाते हैं. ट्रिपल तलाक और सबरीमाला मामले में देखा गया कि यह असंवैधानिक है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अधिकारों की व्याख्या कर फैसले दिए हैं और यह फैसला स्वागत योग्य है.
वहीं विमेंस स्टडीज की प्रोफेसर तरुशिखा सर्वेश ने कहा कि कोर्ट एक दायरे में जजमेंट देता है और जजमेंट आने के बाद उसके इंप्लीमेंट का रास्ता कठिन होता है. लेकिन एक रास्ता बन जाता है. वहीं उन्होंने कहा कि मुस्लिम महिलाओं में एजुकेशन की जरूरत है और तलाक से पीड़ित महिलाओं को सरकार को क्षतिपूर्ति करना चाहिए.लखनऊ हाईकोर्ट से आए एडवोकेट मसूद रजा खान ने कहा कि कुरान शरीफ व हदीस में तलाक के मामले में समझौता कराने की पूरी बात कही गई है. इसमें शांति से अलग हो जाने का भी प्रावधान भी है. इस मामले पर लोग खुलकर नहीं बोल रहे हैं.