अलीगढ़: गन्ना मंत्री सुरेश राणा अलीगढ़ में ही प्रधानमंत्री के आने को लेकर तैयारियों में जुटे हैं. कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा अलीगढ़ के प्रभारी भी हैं, लेकिन गन्ना किसानों की समस्या को हल नहीं कर सके हैं. किसानों की महापंचायत में भाजपा के मंत्रियों ने पहुंचने का वादा किया, लेकिन नहीं पहुंचे. अब गन्ना किसान अपनी समस्या को लेकर सीधे गन्ना मंत्री सुरेश राणा से बात करना चाहते हैं.
गन्ने का रकबा हुआ कम
साथा चीनी मिल की नई यूनिट की मांग वर्षों पुरानी है. वर्ष 1969 में स्थापित हुई 12500 क्विंटल प्रतिदिन क्षमता वाली इस मिल की हालत इतनी खस्ता है कि हर साल गन्ना किसानों को पेराई के लिए दूसरे जनपदों में भटकना पड़ता है. इससे किसान गन्ने की खेती से भी विमुख हो रहा हैं. गन्ने की खेती की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले 16 वर्षों में गन्ने का रकबा पूर्व की तुलना में करीब 25 फीसदी रह गया है. आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2005-06 में गन्ने का रकबा करीब 22 हजार हेक्टेयर था. वह अब घटकर 4500 हेक्टेयर रह गया है. जबकि चीनी मिल में पेराई न होने के कारण 70 प्रतिशत किसान गन्ने की खेती से विमुख हो गया है. यदि चीनी मिल की नई यूनिट नहीं लगी तो किसानों की परेशानी जस की तस बनी रहेंगी.
52 वर्ष पुरानी साथा चीनी मिल के नहीं मिलते कलपुर्जे
साथा चीनी मिल के महाप्रबंधक लालता प्रसाद ने स्वीकार करते हैं कि, 52 वर्ष पुरानी साथा चीनी मिल के अब कलपुर्जे भी नहीं मिलते हैं. इसकी मशीनें पूरी तरह जर्जर हो चुकी हैं. हर साल मरम्मत के नाम पर करोड़ों रुपये फूंक दिए जाते हैं, लेकिन मिल का संचालन ठीक से नहीं होता है. किसान विकास बताते हैं कि साथा चीनी मिल में पिछले चार सालों में नाममात्र की पेराई हुई है. इसके चलते किसानों का गन्ने की खेती से मोह भंग हो गया है.
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