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कासिम सुलेमानी की हत्या के विरोध में AMU छात्रों ने निकाला मार्च, ट्रंप का फूंका पुतला - amu students protest

अमेरिकी हमले में मारे गए ईरान की कुद्स सेना के जनरल कासिम सुलेमानी के पक्ष में शुक्रवार की शाम को एएमयू छात्रों ने कैंपस में एक प्रोटेस्ट मार्च निकाला और सुलेमानी को श्रद्धांजलि दी. इस दौरान छात्रों ने अमेरिका और इजरायल मुर्दाबाद के नारे लगाए और अमेरिकी राष्ट्रपति का पुतला भी फूंका.

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ट्रंप का फूंका पुलता

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Published : Jan 11, 2020, 2:58 AM IST

अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) में ईरान के जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या किए जाने को लेकर कैंडल मार्च निकाला गया. यह कैंडल मार्च यूनिवर्सिटी लाइब्रेरी कैंटीन से डक प्वांइट तक अमेरिका के खिलाफ नारेबाजी करते हुए पहुंचा. इस दौरान अमेरिका और इजराइल के खिलाफ जमकर नारे लगाए गए.

कासिम सुलेमानी की हत्या के विरोध में एएमयू में अमेरिका के खिलाफ लगे नारे.

इस दौरान ईरान के पक्ष में एएमयू छात्रों ने एकजुटता का परिचय दिया. छात्रों ने हाथों में कैंडल और जनरल कासिम सुलेमानी की तस्वीर लेकर शोक संवेदना व्यक्त किया. इस मार्च में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं और बच्चे शामिल थे. इन सभी ने कैंडल मार्च के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का पुतला फूंका.

एएमयू छात्रों ने कही ये बात
छात्र ईरान पर हुए जुल्म और अमेरिका की दादागिरी के खिलाफ थे. इस दौरान बताया गया कि कासिम सुलेमानी मिडिल ईस्ट की दुनिया में जाना माना नाम था. उसने आईएसआईएस, अल नुसरा फ्रंट और मध्य पूर्व में मौजूद आतंकी संगठनों के खिलाफ लड़ाई में मुख्य भूमिका निभाई थी. आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का मुख्य आर्किटेक्ट कासिम सुलेमानी को माना जाता था, लेकिन अमेरिका ने उन्हें मारकर साबित कर दिया कि उसे आतंकवादियों से सहानुभूति है.

कासिम सुलेमानी ने चार वर्ष में ही आईएसआईएस को खत्म कर दिया
डक प्वांइट पर वक्ताओं ने कहा कि अमेरिका खुद को आतंकवाद के खिलाफ युद्ध के नायक के रूप में चित्रित करता है, लेकिन अमेरिका ने ही आतंकी संगठनों को पनाह दी और मिडिल ईस्ट के देशों में घुसकर संसाधनों को लूट कर रहा है. इसके अलावा उन्होंने बताया कि बराक ओबामा ने एक भाषण में कहा था कि आईएसआईएस को मिडिल ईस्ट से खत्म करने में 30 साल लगेंगे, लेकिन ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी ने उन्हें चार वर्षों में ही खत्म कर दिया.

कासिम सुलेमानी ने मिडिल ईस्ट के संसाधनों को लूटने से अमेरिकी तरीकों को रोका, जिसके चलते अमेरिका ने उनकी हत्या कर दी. इस घटना से अमेरिका ने अपना असली चेहरा दिखा दिया है कि वह खुद आतंकवाद का वाहक है.

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