अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (Aligarh Muslim University) में पीएचडी में दाखिला नहीं दिए जाने के विरोध में बाबे सैयद गेट पर कई छात्र धरने पर बैठ गए. छात्रों का आरोप है कि पीएचडी की सीटें एएमयू प्रशासन ओपन नहीं कर रहा है. कई छात्रों के जेआरएफ, नेट क्वालीफाई करने के बाद भी एडमिशन टेस्ट में अच्छे नंबर न देकर पीएचडी में एडमिशन नहीं दिया जा रहा है. इसको लेकर के पीएचडी एडमिशन टेस्ट देने वाले छात्र नाराज हैं. वहीं, एक छात्र को छात्र राजनीति का हिस्सा होने पर उसे वोमेन स्टडी डिपार्टमेंट में पीएचडी में दाखिला नहीं दिया गया. छात्र ने आरोप लगाया है कि पर्सनल लाइफ को लेकर पीएचडी में एडमिशन नहीं दिया गया. इसके बाद छात्र अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठ गए हैं.
छात्रों का कहना है कि कोरोना काल के बाद एएमयू पूरी तरह खुल चुका है. उन्होंने आरोप लगाया है कि कोरोना संक्रमण के चलते पीएचडी की सीटें अभी खाली पड़ी हैं. फिर भी विश्वविद्यालय प्रशासन पीएचडी की सीटें ओपन नहीं कर रहा है. पीएचडी में तानाशाही तरीके से एडमिशन दिया जा रहा है. पीएचडी एडमिशन टेस्ट देने वाले छात्र सलमान ने कहा कि जेआरएफ, नेट क्वालीफाई करने के बाद भी छात्रों को इंटरव्यू में अच्छें अंक नहीं दिए गए. छात्र ने चेतावनी दी कि अगर पीएचडी में इमानदारी से दाखिला नहीं दिया गया तो विश्वविद्यालय में होने वाली एक्टिविटीज को रोक दिया जाएगा.
वोमेन स्टडी डिपार्टमेंट में पीएचडी की लिखित परीक्षा में हाईएस्ट मार्क्स लाने वाले फरहान जुबेरी ने कहा कि उनके साथ पीएचडी के इंटरव्यू में भेदभाव किया गया है. उसके पास इसका सुबूत भी है. डिपार्टमेंट की चेयरमैन उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही हैं. छात्र फरहान जुबेरी ने कहा कि पीएचडी की लिखित परीक्षा में उनके 100 में से 60 नंबर आए हैं, इसके बावजूद इंटरव्यू में अच्छे नंबर न देकर एडमिशन से रोक दिया गया. डिपार्टमेंट की चेयरमैन ने छात्र जुबेरी से कहा है कि वो विश्वविद्यालय की राजनीति करते हैं, इसलिए जानबूझकर पीएचडी में दाखिला नहीं दिया गया. इस दौरान छात्रों ने कुलपति से अपील की है कि पीएचडी में क्वालीफाई करने वाले छात्रों के एडमिशन पर विचार करें.