अलीगढ़ : पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट वोट बैंक का काफी असर है. अलीगढ़ लोकसभा सीट भी इसी दायरे में आती है. लोकसभा चुनाव की घंटी बजने के बाद राजनीतिक दलों ने सियासी समीकरण बैठाना शुरू कर दिया है . सपा, बसपा, राष्ट्रीय लोक दल गठबंधन ने जाट प्रत्याशी अजीत बालियान को लोकसभा चुनाव के समर में उतार दिया है. बसपा के अपने पारंपरिक वोट बैंक तो साथ में है. वहीं सपा का वोटबैंक भी ट्रांसफर हो जाएगा.
इस बार राष्ट्रीय लोकदल के वोट बैंक पर भी सबकी नजर है. क्योंकि 2014 के लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोकदल का एक भी प्रत्याशी जीत हासिल नहीं कर सका था. अजीत सिंह व जयंत चौधरी खुद अपनी सीटें भी नहीं बचा पाए थे. अलीगढ़ में भी खैर, बरौली, अतरौली जाट बाहुल्य क्षेत्र भाजपा के पक्ष में ही गया था. अब बहुजन समाज पार्टी, राष्ट्रीय लोक दल के साथ मिलकर जाटलैंड विधानसभा क्षेत्र में वोट निकलवाने की कवायद में जुट गया है. अलीगढ़ की 5 विधानसभा सीट में से 3 सीटों पर जाटों का वोट ज्यादा है.
समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी ने जाट वोट बैंक के लिए ही राष्ट्रीय लोक दल को गठबंधन में शामिल किया है. नेताओं का मानना है कि राष्ट्रीय लोक दल का थोड़ा वोटबैंक भी गठबंधन को मिल गया तो कोई हरा नहीं पाएगा. अतरौली, बरौली में जाटों का वोट सर्वाधिक है. राष्ट्रीय लोकदल के लिए जाटों का वोट बैंक गठबंधन में ट्रांसफर कराना कड़ी चुनौती है. पिछले लोकसभा चुनाव व विधानसभा चुनाव में इस वोट बैंक का हिस्सा भाजपा के पाले में चला गया था. अब राष्ट्रीय लोक दल के नेताओं ने लामबंद होकर जाटों के वोट को गठबंधन की तरफ जोड़ने का प्रयास शुरू किया है.
गठबंधन इस बार जाट को अपनी तरफ करने के लिए एकजुट है. राष्ट्रीय लोकदल नेता जियाउर्हमान ने बताया कि मुजफ्फरनगर दंगे के बाद लोग समझ गए हैं. राष्ट्रीय लोक दल के साथ जाट है. गठबंधन यूपी में सबसे ज्यादा सीट जीतकर आएगा. समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता जफर आलम ने कहा कि 2014 की चुनावी जीत के बाद जाट को दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल दिया गया है. जाट दुखी हैं. उन्होंने बताया कि 2009 के लोकसभा चुनाव में सभी जगह से भारी वोट मिले थे, लेकिन खैर में जाटों का वोट नहीं मिलने से वह हार गए थे.
गठबंधन के जाट प्रत्याशी अजीत बालियान ने कहा कि जाट देश की भोली कौम है. इसको बहकाकर वोट ले लिया गया था, लेकिन पिछले 5 सालों में जाटों का उत्पीड़न हुआ है. अब जाट बीजेपी के साथ नहीं जाएगा. वहीं अलीगढ लोकसभा सीट पर जाटों के वोट का महत्व बढ़ गया है. हालांकि गठबंधन की तरफ से जाट प्रत्याशी उतार दिया गया है. देखना यह है कि भाजपा, कांग्रेस के लोकसभा चुनाव प्रत्याशी कौन होता है?