अलीगढ़ :अलीगढ़ में 5 मौतों के बाद बड़ा सवाल यह उठता है कि सरकारी ठेकों तक किस तरह जहरीली शराब पहुंची थी. दरअसल, जिले में शराब तस्करों का तगड़ा नेक्सस है. इसे न तो आबकारी विभाग तोड़ पाया है और न ही पुलिस प्रशासन के लोगों का इन पर कोई अंकुश रहा. इसके चलते जहरीली शराब से तीन दर्जन से अधिका लोगों की मौत हो गई. एडीजी आगरा जोन राजीव कृष्ण के अनुसार अलीगढ़ में शराब सप्लायर के तीन मुख्य आरोपी अनिल चौधरी, विपिन यादव, और ऋषि शर्मा इस घटना के जिम्मेदार है. इनके शराब के ठेके भी हैं.
इन्हीं ठेकों की आड़ में अवैध कारोबार पनप रहा था. हालांकि कई बार इनपर अंकुश रखने के लिए मुकदमा भी दर्ज किया गया लेकिन सिस्टम की मिलीभगत के चलते यह बच जाते थे. अनिल चौधरी और ऋषि शर्मा ने पंचायत चुनाव भी लड़ा था. बताया जा रहा है कि इसी चुनाव में मंगाई गई शराब बच गई थी. उसी देशी शराब को सरकारी ठेकों पर सप्लाई कर बेचा जा रहा था.
खाली पड़े बोतलों के लिए नमूने
करसुआ के सरकारी ठेके से बुधवार को आसपास के गांवों में भी शराब बेची गई थी. हालांकि यहां नकली शराब की भरी बोतल या कार्टून नहीं मिली. घटना के बाद करसुआ के सरकारी ठेके से खाली पड़े प्लास्टिक के बोतलों के भी सैंपल भरे गए हैं ताकि शराब में क्या चीज मिलाई गई, इसका पता प्रयोगशाला में चल सके. करसुआ सरकारी शराब का ठेका पलवल रोड और करसुआ गांव के मध्य में एक खेत के किनारे बना है. यहां मिली शराब की खाली देसी बोतल के हालमार्क का मिलान गोदाम से उठाए गए माल से भी कराया गया. हालांकि इसका मिलान नहीं हो पाया.
देशी शराब के निरीक्षण में रही लापरवाही