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अलीगढ़: किताब की जगह कभी एएमयू के लोगो में होता था विक्टोरिया का क्राउन - अलीगढ़ स्पेशल खबर

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अपनी स्थापना के 100 साल मना रहा है. इस दौरान विवि के लोगो को छह बार बदला गया है. कभी इसके लोगो में क्वीन विक्टोरिया का ताज बना रहता था. आजादी के बाद डॉ. जाकिर हुसैन ने लोगो से विक्टोरिया के क्राउन को हटाकर किताब को स्थान दिया था.

छह बार बदला गया है अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का लोगो.
छह बार बदला गया है अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का लोगो.

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Published : Oct 14, 2020, 8:25 AM IST

अलीगढ़:देश के मशहूर शिक्षण संस्थानों में शुमार अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अपनी स्थापना के 100 साल मना रहा है. इस दौरान विवि के लोगो को छह बार बदला गया है. कभी इसके लोगो में क्वीन विक्टोरिया का ताज और खजूर का पेड़ बना रहता था, लेकिन आजादी के बाद डॉ. जाकिर हुसैन ने लोगो से विक्टोरिया के क्राउन को हटा दिया था. बता दें कि जाकिर हुसैन ने क्राउन के स्थान पर किताब को जगह दी थी. वहीं दूसरी ओर चांद है, जो ज्ञान की ज्योति का प्रतीक है. किताब और चांद के बीच में खजूर का पेड़ बना है. इसके चारों ओर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी लिखा है.

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का लोगो.

इसके अलावा अरेबियन भाषा के पांच शब्दों में शिक्षा के लिए प्रेरित करने वाले अर्थ छिपे हैं, लेकिन अरेबियन भाषा वाला लोगो सामान्य तौर पर प्रयोग में नहीं लाया जाता है. बताया जाता है कि इसमें कुरान की आयत लिखी है. ऐसे में कुरान की आयतें लिखे लोगो को कैलेंडर, किताबें या ऐसी पत्रावली में भी प्रयोग होगा, तो वह पैरों के नीचे आ सकता है. इसलिए एएमयू के लोगो में अलग-अलग तरह का बदलाव किया गया है. एएमयू के जनसंपर्क विभाग के सहायक मेंबर इंचार्ज के अनुसार, लोगो छह बार बदला गया है और इसके अर्थ को समझना भी बहुत गहरा है.

1877 में हुई थी मोहम्मडन एंग्लो कॉलेज की स्थापना
सर सैयद अहमद खान ने सन् 1877 में मोहम्मडन एंग्लो कॉलेज की स्थापना की थी. उस समय लोगो में खजूर का दरख्त बनाया गया था. खजूर के पेड़ की खूबी यह है कि 100 साल बाद फल देता है और हजारों साल खड़ा रहता है. सर सैयद अहमद खान का मानना था कि खजूर के पेड़ की तरह कॉलेज भी आगे फले-फुलेगा.

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इस मामले में जनसंपर्क विभाग के राहत अबरार बताते हैं कि सर सैयद अहमद खान ने मदीने से खजूर के पेड़ मंगवाकर लगवाए थे. साथ ही लोगो में चांद का भी चिन्ह है जो ज्योति (रोशनी) का प्रतीक होता है. जिस समय यह लोगो बना था उस वक्त ब्रिटिश राज था और लोगो में क्वीन विक्टोरिया का क्रॉउन भी बनाया गया. इस क्राउन को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के विक्टोरिया गेट और स्ट्रेची हाल में आज भी देखा जा सकता है. सन 1920 में एमएओ कॉलेज को विश्वविद्यालय का दर्जा मिल गया और इसके साथ ही लोगो भी बदल गया. आजादी के बाद डॉ. जाकिर हुसैन एएमयू के कुलपति बने तो विक्टोरिया के क्राउन को लोगो से हटा दिया. डॉ. जाकिर हुसैन ने क्राउन की जगह किताब को रखा, जो कि ज्ञान का प्रतीक है.

लोगो पर लिखी हैं कुरान की आयतें
राहत अबरार ने बताया कि लोगो पर अरबी में कुरान की आयतें लिखी गई हैं. लोगो में खजूर का पेड़ है, जिसके चारों ओर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी अंकित है. इसके अलावा अरेबियन भाषा के 5 शब्दों में शिक्षा के लिए प्रेरित करने वाले शब्द छिपे हैं. यह शब्द 'अल्लाह मल इंसाना मालम यालम' हैं. इसका अर्थ है कि मनुष्य शिक्षा ग्रहण करे, जिससे समाज का अंधकार दूर हो.

छह बार बदला गया है अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का लोगो.

लोगो में लिखे यह पांच शब्द धार्मिक रूप से पूजनीय हैं, जिसके चलते इन पांच शब्दों को एएमयू के हर लोगो में प्रयोग नहीं किया जाता. हालांकि बाब ए सैयद गेट में एएमयू के लोगों में अरेबियन के पांच शब्द अंकित हैं, लेकिन कैलेंडर, किताब या ऐसी पत्रावली जिनका कहीं गलत प्रयोग न हो जाए या गलती से किसी के पैरों में न पहुंच जाएं, इसी एहतियात के चलते इस लोगो का प्रयोग हर स्थान पर नहीं किया जाता.

1954 से नहीं बदला लोगो
सन 1877 से 1954 तक एएमयू का मोनोग्राम छह बार बदला है, लेकिन 1954 के बाद मोनोग्राम को बदला नहीं गया. राहत अबरार बताते हैं कि जिस मोनोग्राम पर कुरान की आयतें हैं. उस मोनोग्राम को दस्तावेज पर अंकित नहीं किया जाता. ऐसे दस्तावेजों पर स्टार लगा दिया जाता है. मोनोग्राम का इस्तेमाल एएमयू की बिल्डिंगों पर आसानी से देखा जा सकता है. वहीं छात्रों को मिलने वाली डिग्रियों में भी यह मोनोग्राम बना रहता है. डिग्री में ही कुरान की आयतों वाला मोनोग्राम इस्तेमाल किया गया है. बाकी जगह पर खजूर और किताब का प्रयोग किया गया है.

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