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Aligarh News : भूख और गरीबी से मां-बेटियों की मौत को लेकर सरकारी योजनाओं पर उठ रहे सवाल

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर अलीगढ़ में महिला और उसकी दो लड़कियों के आत्महत्या करने के मामले ने सरकारी योजनाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं. वहीं, स्थानीय लोगों ने बताया कि महिला की स्थिति कितनी खराब था. मोहल्ले के लोग परिवार को खाने-पीने का सामान देते थे. लेकिन, महिला की बीमारी की वजह से परिवार की परेशानियां कम नहीं हुई और फिर ये दुखद घटना हो गई.

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Published : Mar 9, 2023, 12:31 PM IST

अलीगढ़ में महिला और लड़कियों की मौत पर पड़ोसियों और परिजनों से बातचीत

अलीगढ़:जिले में महिला दिवस के जश्न के बीच महिला सहित दो बेटियों ने गरीबी, आर्थिक तंगी और बीमारी के चलते आत्महत्या कर ली. हालांकि पुलिस का पहले बयान आया कि परिवार का जीवन यापन करना मुश्किल था, जिसके चलते मौत को गले लगा लिया. उसके बाद एसएसपी का बयान आया कि परिवार अवसादग्रस्त था. वहीं, थाने की पुलिस ने बयान जारी कर कहा कि महिला नशा करने की आदी थी. इसके चलते उसकी तबीयत खराब हो गई और परेशान होकर विषाक्त पदार्थ खाकर आत्महत्या कर ली. दिल दहला देने वाला यह मामला थाना ऊपरकोट कोतवाली के भुजपुरा इलाके के इस्लाम नगर का है. इस घटना से सरकार की योजनाओं पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.

स्थानीय लोगों ने मृतक महिला नगीना के परिवार की भुखमरी और गरीबी की दास्तां को बयां किया. नगीना की 7 लड़कियां थीं. इसमें एक की मौत हो गई थी. वहीं, चार लड़कियों की शादी हो गई थी, जबकि दो की शादी करना बाकी था. परिवार किराए के मकान में रहता था और दस साल पहले महिला के पति खलील की बीमारी से मौत हो गई थी. नगीना भी किडनी की गंभीर बीमारी से जूझ रही थी. चंदा जुटाकर महिला का इलाज चल रहा था. बेटियां बानो और बाजी फैक्ट्री में पावर प्रेस पर काम कर किसी तरीके से गुजर-बसर करती थीं. स्थानीय लोगों ने बताया कि परिवार की हालत इस कदर खस्ताहाल थी कि मोहल्ले के लोग खाने-पीने का सामान देते थे, जिससे परिवार चलता था. बेटियों को नगीना की बीमारी का इलाज कराना भी भारी पड़ रहा था. दिन-ब-दिन नगीना की तबीयत खराब हो रही थी, जिससे लड़कियां घबरा गईं.

पड़ोस की रहने वाली फातिमा नगीना को 20 साल से जानती हैं. पहले मंदिर में रहती थी. कोई बेटा नहीं था. ठेला और घरों में काम कर नगीना बच्चों को पाल रही थी. पति की बीमारी से दस साल पहले मौत हो चुकी थी. मोहल्ले के लोग नगीना को खाने-पीने की मदद करते थे. वहीं, नगीना की बीमारी से घर की हालत खराब हो गई. बानो और बाजी फैक्ट्री में काम कर पेट भर रही थीं. दोनों बेटियां मां से बहुत मोहब्बत करती थीं. जब मां की हालत खराब देखी तो दोनों घबरा गईं. कोई सहारा न देख बेटियों ने मौत को गले लगा लिया. स्थानीय लोग बताते हैं कि नगीना बीमारी से परेशान थी. दोनों बेटियों की शादी नहीं हो पा रही थी. हालांकि, पहले जहर किसने खाया यह तो किसी को पता नहीं. लेकिन, होली के शोर में भूख और गरीबी ने मां-बेटियों की जान ले ली.

बेटी तरन्नुम जब पहुंची, तब तक महिला की सांसें थम चुकी थीं. बानो और बाजी ने विषाक्त पदार्थ खा लिया था, जिससे वह तड़प रही थीं. जब तक डॉक्टर के पास पहुंचते बीच रास्ते में ही दोनों ने दम तोड़ दिया. बेटी जीनत ने बताया कि मां की तबीयत ठीक नहीं थी. इलाज करवा रही थी. स्थानीय निवासी महमूद अब्बासी बताते हैं कि नगीना का सही इलाज नहीं हो पाया. बेटियों को कोई सहारा नहीं मिला. भूख और गरीबी के चलते आत्महत्या कर ली.

हालांकि, महिला दिवस पर बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं. लेकिन, भूख और गरीबी ने मां-बेटियों की जान ले ली. वहीं, अब सरकारी योजनाओं पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. मां और दो बेटियों की मौत पर भी पुलिस का पल-पल बदलता बयान सामने आया. पहले जीवन यापन कठिनाई से हो रहा था. इसके चलते आत्महत्या कर ली. फिर अवसादग्रस्त बताया गया. वहीं, थाना कोतवाली प्रभारी ने बयान जारी कर बताया कि मृतक महिला नगीना नशा आदि करती थी, जिससे उसकी तबीयत खराब हो गई और परेशान होकर महिला और उसकी बेटियों ने आत्महत्या कर ली.

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