अलीगढ़: जिले में स्थित अलीगढ़ का किला कभी मराठों व अंग्रेजों की छावनी हुआ करती थी, जो आज बोटेनिकल गार्डेन बन गया है. यहां गोले-बारुद, हथियार सुरक्षित रखे जाते थे. इस किले में फ्रांसीसी शैली के निर्माण का आर्किटेक्ट देखा जा सकता है. वहीं किले में अंदर जाने के लिए महज एक ही दरवाजा है.
किले के नाम पर अलीगढ़ का नाम. इस किले के चारों ओर गहरी खाई है, जिसमें लबालब पानी भरा रहता था. वहीं किले के चारों ओर मिट्टी के ऊंचे टीले भी बने है. इस किले में एक कुआं भी है. सजा के तौर पर इस कुएं में लोगों को फंदा लगाकर लटका दिया जाता था.
किले के नाम पर शहर का नाम
कहा जाता है कि अलीगढ़ के किले के नाम पर ही शहर का नाम अलीगढ़ रखा गया. दरअसल 1803 में अंग्रेज जनरल लेक ने मराठों को हराकर किले पर कब्जा किया था. वहीं जो अंग्रेज सैनिक युद्ध में मारे गए, उनके नाम का शिलालेख किले की दीवार पर आज भी लगा है.
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दिया जाता था प्रशिक्षण
16वीं सदीं में इब्राहिम लोदी के समय किले की नींव रखी गई थी. सन् 1760 में मराठा महाराजा माधव राव सिंधिया प्रथम ने किले पर कब्जा कर किया. उस समय मराठा सेना में फ्रांसीसी, जर्मन, स्काटिश सैनिक शामिल थे. यूरोपियन युद्ध कला शैली का यहां प्रशिक्षण यहां दिया जाता था. फ्रेंच कमांडेट बेनोइट डी बोइग्ने व पेरान ने किले को डिजाइन किया था. इसके अंदर हथियारों, गोला, बारूद के रखने का सुरक्षित ठिकाना भी बनाया गया था. अब सिर्फ अलीगढ़ किले का अवशेष ही बाकी रह गया है.
एएमयू के नियंत्रण में किला
इस किले से अंग्रेज आस-पास के इलाकों पर नजर रखते थे. अब यह किला अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के नियंत्रण में है, इसे एएमयू किला भी कहा जाता है. अब इसे बोटेनिकल गार्डेन के रूप में विकसित किया जा रहा है. पर्यटन के रूप में भी इसको विकसित किया जा रहा है. एएमयू के सहायक मेंबर इंचार्ज राहत अबरार ने बताया कि अब यह एएमयू की संपत्ति है. यहां बोटेनिकल गार्डेन बनाया जा रहा है. यूनानी रिसर्च संबंधी मेडिसनल प्लांट यहां पर लगाए गए हैं, जहां छात्र शोध करने के लिए आते हैं.