अलीगढ़: जिले में बहने वाली कई नदियां अपना अस्तित्व खोते-खोते नाले जैसी हो गई हैं. इन नदियों का पानी पीने लायक नहीं रह गया है और न ही इन नदियों में इतना पानी है कि खेतों की सिंचाई ही हो सके. अलीगढ़ जिला प्रशासन इन नदियों को पुनर्जीवित करने की कवायद कर रहा है. मनरेगा के जरिए इन नदियों में प्राण डाले जा रहे हैं. बता दें कि जिले में 11 नदियों में से 5 नदियां विलुप्त सी हो चुकी हैं, जिन्हें पुनर्जीवित करने का काम जिला प्रशासन कर रहा है. इसमें नीम, सेंगर, करवन, रुतवा और छोईया नदियां शामिल हैं.
काली और करबन नदियों के बदलेंगे हालात
अलीगढ़ जिले का सौभाग्य है कि इसके दोने छोर पर गंगा और यमुना नदी होकर गुजरती हैं. मुजफ्फरनगर से निकलकर अलीगढ़ से गुजरने वाली काली नदी भी दूषित हो चुकी है. साथ ही बुलंदशहर की सीमा से होकर आने वाली नीम नदी भी अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही है. गंदगी से नदियां नाले में तब्दील हो गई हैं. जबकि खैर, गभाना, चंडौस तहसील से गुजरने वाली करबन नदी में पानी के नाम पर बस एक पतली सी धारा है.