अलीगढ़ :शहर में अवैध तरीके से रह रहे दो बांग्लादेशियों को थाना रोरावर पुलिस ने गिरफ्तार किया है. दोनों आरोपी बिना पासपोर्ट के अलीगढ़ में रह रहे थे. उन्होंने फर्जी आधार कार्ड और दस्तावेज भी तैयार करा लिया था. पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर धोखाधड़ी और 14 विदेशी अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर न्यायालय में पेश किया है.
रोरावर पुलिस टीम ने सोमवार को गश्त के दौरान ऐलाना मीट फैक्ट्री को जाने वाले रास्ते पर हाईवे पुल व रेलवे लाइन पुल के बीच से मौहम्मद जमाल व मोहम्मद हसन को बिना पासपोर्ट, कूट रचित दस्तावेज तैयार कर आधार कार्ड बनवाकर अवैध तरीके से निवास करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. इसके संबंध में रोरावर थाने पर 14 विदेशी अधिनियम समेत धोखधड़ी आदि कई धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है.
गिरफ्तार अभियुक्तों ने पूछताछ में बताया कि दोनों बांग्लादेश में कोई काम न मिलने के कारण करीब 07- 08 वर्ष पूर्व काम की तलाश में एक अंजान दलाल के जरिये बांग्लादेश भारत बार्डर से अवैध तरीके से भारत में आ गए.
यहां से ट्रेन में बैठकर अलीगढ़ आए. अलीगढ़ में काम की तलाश में सभी जगह आधार कार्ड या अन्य कागजात मांगे जाने के कारण फर्जी तरीके से दोनों ने आधार कार्ड बनवाया. दोनों अलीगढ़ में मेहनत मजदूरी का काम करते थे.
दोनों के पास से दो आधार कार्ड (कूटरचित), 02 मोबाइल फोन बरामद किया गया है. रोरावर थाना प्रभारी सुनील कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि मुखबिर की सूचना पर दो बांग्लादेशियों को गिरफ्तार किया है. दोनों के पास पासपोर्ट नहीं है और फर्जी दस्तावे पाए गए हैं. इस मामले में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. आरोपियों से पूछताछ जारी है.
2012 से अलीगढ़ आना शुरू हुए रोहिंग्या परिवार
अलीगढ़ में 2012 के आसपास रोहिंग्या परिवारों का आना तब शुरू हुआ जब यहां मीट एक्सपोर्ट इंडस्ट्री की जड़ें जमनी शुरू हुईं. उस समय यहां कुछ परिवार गोंडा रोड के कमेला व गोंडा रोड के बाईपास की मीट फैक्ट्रियों में ही रहा करते थे. धीरे-धीरे अलीगढ़ मीट एक्सपोर्ट इंडस्ट्री का हब बन गया. यहां के मकदूम नगर में इन्हें ठिकाना मिलने लगा. यहां मीट कारोबार से जुड़े स्थानीय लोगों ने इन्हें अपने घरों में किराए पर रखना शुरू कर दिया.
इस तरह मकदूम नगर में तकरीबन 300 से 400 लोग आकर बस गए. इसके अलावा भुजपुरा व शाहजमाल में भी ये आकर रहने लगे. एक एनजीओ के सर्वे के अनुसार करीब एक हजार रोहिंग्या शहर की इन बस्तियों में रह रहे हैं. हालांकि 2017-18 के बाद से नए लोग नहीं आ रहे हैं.
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