अलीगढ़ : आंखों की जांच के लिए आज आधुनिक डिजिटल मशीनें मौजूद है, लेकिन रेलवे अस्पताल की जांच विधि के सामने डिजिटल मशीनों का कोई मायने नहीं है. आज भी रेलवे के अस्पताल में अंग्रेजों के जमाने वाली तकनीक से आंखों की टेस्टिंग होती है. डॉक्टर का कहना है कि इस तकनीक से कोई चूक नहीं होती है. अलीगढ़ के रेलवे अस्पताल में अंग्रेजों के जमाने की आंख की जांच विधि और तकनीक दोनों ही मौजूद है., जो कि आज के समय में मिलना दुर्लभ है. आंखों की जांच के लिए डार्क रूम बनाया गया है और यहीं पर ही रेलवे अधिकारियों और कर्मचारियों की आंखों का टेस्ट होता है.
डार्क रुम में होता है आंखों के विजन का टेस्ट
आधुनिकता के दौर में डिजिटल तकनीक का विकास हो चुका है, लेकिन क्या आप ने सोचा है कि ट्रेन ड्राइवर, लोको पायलट, गार्ड, केविन गार्ड की आंखों की जांच कैसे होती है ? यह लोग रात के अंधेरे में आम आदमी से बेहतर देख समझ सकते हैं. इस राज को डार्करुम में ही समझा जा सकता है. रेलवे अस्पताल को संभालने वाले एसीएमएस डॉ. आलोक सुमन देव ने बताया कि रेलवे कर्मचारियों की आंखों की जांच डार्क रूम में किया जाता है. अंग्रेजों के जमाने की तकनीक आज भी रेलवे के मैनुअल में शामिल है. डार्क रूप में आंखों की जांच करते समय भटकाव नहीं होता है. रात के अंधेरे में भी ड्राइवर और गार्ड को ट्रेन लेकर चलना होता है और सैकड़ों सवारियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी इन्हीं के ऊपर होती है. ऐसे में अगर कोई चूक हुई. तो यात्रियों की जान को खतरा हो जाता है. डार्क रूम में आंखों की जांच बिल्कुल एक्यूरेट होती है.
डार्क रूम में किसकी जांच होती है
रेलवे अस्पताल में एसीएमएस डॉ. आलोक सुमन ने बताया कि डार्क रूम रेलवे कर्मचारियों के लिए है और इसमें 3 वर्ग के कर्मचारी शामिल है. यह वर्ग A1, A2 और A3 कर्मचारियों में बांटा किया गया है. A1 में ट्रेन ड्राइवर, A2 में गार्ड, स्टेशन मास्टर, पॉइंट मैन, केबिन मैन की आंख की जांच होती है. A3 में टेक्नीशियन और गैंगमैन की आंखों की जांच होती है.