अलीगढ़: जिले में अंबेडकर जयंती मनाने को लेकर रार छिड़ हुई है. बुधवार देर रात थाना महुआ खेड़ा पर दो पक्षों ने हंगामा किया. इसके चलते जिला प्रशासन ने अंबेडकर जयंती मनाने पर रोक लगा दी. बताया जा रहा है कि क्षेत्र के महुआ खेड़ा के ओजोन सिटी सोसाइटी के पार्क बी-1 में 3 अप्रैल को अपर नगर मजिस्ट्रेट सुधीर कुमार ने अंबेडकर जयंती मनाने की अनुमति दी थी. इसमें 100 व्यक्तियों के लिए डॉ. अंबेडकर की मूर्ति पर माल्यार्पण, प्रसाद वितरण और विचार गोष्ठी का कार्यक्रम रखा गया था. साथ ही कार्यक्रम को लेकर कोविड-19 के गाइडलाइन का पालन करने का दिशा निर्देश दिया गया था. कुछ लोगों ने इस पर एतराज जताते हुए कहा कि पार्क में नई गतिविधि शुरू नहीं होने देंगे.
मामले को लेकर थाना महुआ खेड़ा प्रभारी निरीक्षक ने मजिस्ट्रेट को अपनी आख्या दी, जिसमें कहा गया कि ओजोन सिटी सोसाइटी के पार्क बी-1 में कार्यक्रम अनुमति प्रदान की गई थी. इसको लेकर सोसाइटी में कुछ लोगों ने विरोध करते हुए प्रार्थना पत्र दिया, जिसकी जांच की गई. इसमें पता चला कि कार्यक्रम का आयोजन कॉलोनी में पहली बार किया जा रहा है. ओजोन सिटी के रहने वाले लोगों द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है.
आख्या में अंबेडकर जयंती के आयोजन के दौरान शांति व्यवस्था भंग होने की संभावना व्यक्त की गई. इसके बाद अपर नगर मजिस्ट्रेट द्वितीय सुधीर कुमार ने शांति व्यवस्था के दृष्टिगत रखते हुए अंबेडकर जयंती कार्यक्रम की अनुमति को निरस्त कर दिया. अपनी बात रखने थाने पहुंचे दोनों पक्षों के बीच हंगामा भी हुआ. इस मामले को लेकर जिला प्रशासन ने कहा कि अंबेडकर जयंती अगर अपने घर में मनाते हैं, तो उसकी अनुमति की कोई जरूरत नहीं है. अंबेडकर जयंती मनाने के लिए अनुमति मांगने वाले प्रभु सिंह सुमन ने कुछ जातिगत मानसिकता के लोगों के विरोध के चलते अंबेडकर जयंती मनाने का कार्यक्रम निरस्त किया गया है. अपने इष्ट की जयंती मनाने से रोकना संविधान प्रदत्त अधिकारों का उल्लंघन है.
वहीं, बसपा के पूर्व जिला अध्यक्ष रतन दीप सिंह ने कहा कि जिला प्रशासन ने जिस प्रकार बाबा साहब का विरोध करने वालों के आगे घुटने टेके हैं. उससे जिला प्रशासन की भी दलित विरोधी सोच उजागर हुई है. पहले भी सांगवान सिटी में इसी प्रकार का विवाद हुआ और प्रशासन ने खुलकर दलित विरोधी असमाजिक लोगों के आगे घुटने टेके और कोई कार्रवाई नहीं की गई. जिला प्रशासन को बाबा साहब के कार्यक्रमों का विरोध करने वालों को जेल भेजना चाहिए. प्रशासन ने उलटा कार्यक्रम की परमिशन को रद्द करके दलित विरोधी चेहरा उजागर किया है.
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