आगरा: प्रदेश में डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय एक बार फिर चर्चा में है. बीएड फर्जीवाड़ा पहले ही विश्वविद्यालय की खूब किरकिरी करा चुका है. एसआईटी ने बीएड सत्र 2004-05 के 4766 रोल नंबर जांच के दायरे में लिए थे, जिसमें विश्वविद्यालय कर्मचारी और महाविद्यालय संचालकों की कारस्तानी का खुलासा हुआ था. अब योगी सरकार ने फर्जी, फेक और टेंपर्ड डिग्री से नौकरी पाने वाले 2824 शिक्षकों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है, जिसमें से 930 शिक्षकों को बर्खास्त किया गया है. वहीं, 497 के खिलाफ कार्रवाई चल रही है. सरकार ने 1427 शिक्षकों से वेतन वसूली की तैयारी की है, जिसकी रकम करीब 900 करोड़ रुपये है.
सरकार ने अब प्रदेशभर में डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय की बीएड की मार्कशीट और डिग्री से नौकरी पाने वाले शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है. अब इन शिक्षकों से वेतन की रिकवरी की तैयारी है. एक शिक्षक से करीबन 63 लाख रुपये की वसूली की जानी है. ऐसे में 900 करोड़ रुपये की वेतन वसूली के लिए हर जिले में बीएसए की ओर से नोटिस जारी किए जा रहे हैं.
हाईकोर्ट ने दिए निर्देश
डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलसचिव रिटायर्ड ले. कर्नल डॉ. अंजनी कुमार मिश्र ने बताया कि एसआईटी की जांच में करीब चार हजार से ज्यादा रोल नंबर को फेक, टेंपर्ड और डुप्लीकेट कैटेगरी में डाला था. विश्वविद्यालय में फेक कैटेगरी के स्टूडेंट्स को एक मौका दिया और उनसे प्रत्यावेदन मांगे थे. 814 छात्र ने प्रत्यावेदन दिए हैं. हाईकोर्ट ने 29 अप्रैल 2020 को विश्वविद्यालय को निर्देश दिए कि प्रत्यावेदन देने वाले 814 छात्र के मामले में तीन महीने में जांच करके स्पष्टिकरण दिया जाए. साथ ही 1084 छात्र, जिन्हें टेंपर्ड कैटेगरी में रखा गया है उनके बारे में विश्वविद्यालय को छह महीने में निर्णय लेना है.
19 बिंदुओं के प्रत्यावेदन और रिकॉर्ड की जांच जारी
डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलसचिव रिटायर्ड ले. कर्नल डॉ. अंजनी कुमार मिश्र ने बताया कि फेक सूची के 814 स्टूडेंट्स से 19 बिंदुओं पर प्रत्यावेदन मांगे गए थे. सभी स्टूडेंट्स के प्रत्यावेदन और विश्वविद्यालय में मौजूद रिकॉर्ड से जांच की जा रही है, जो 15 जुलाई तक पूरी होगी. टेंपर्ड सूची के 1084 स्टूडेंट्स के मामले में जांच करके 15 सितंबर 2020 तक विश्वविद्यालय को निर्णय लेना है.