आगरा:जिले के तहसील बाह क्षेत्र के अंतर्गत गांव मई में रविवार को क्रांतिकारी गेंदालाल दीक्षित के घर पर खंडहरों पर अवशेषों के बीच पुस्तक का विमोचन हुआ. क्रांतिकारी गेंदालाल दीक्षित के त्याग और बलिदान उनके परिजनों की आंखों से छलक पड़ा. क्रांतिकारी के जुड़े स्थलों पर पहुंचकर किताब का सृजन करने वाले शाह आलम ने चंबल के डकैतों को क्रांति की धारा में जोड़ने वाले अनछुए पहलुओं को संकलित किया. इस दौरान क्रांतिकारी गेंदालाल दीक्षित के स्मृति स्थलों को संरक्षित किए जाने और मई गांव में स्मारक बनाए जाने की मांग सरकार से की गई.
क्या है इतिहास
बाह क्षेत्र वीरों की भूमि मानी जाती है. यहां कई वीर योद्धाओं ने जन्म लिया और देश के लिए कुर्बान हो गए. यहां की वीर गाथाएं युवाओं में जोश भरती हैं. क्रांतिकारियों का 90 सदस्य दल मैनपुरी में डकैती की योजना को अंजाम देने के लिए मिहोना के चंबल बीहड़ में ठहरा हुआ था. उसी समय यंग ने साजिश रचकर क्रांतिकारियों को खाने में जहर खिला दिया और बेहोशी होने पर हमला बोल दिया. क्रांतिकारी बने चंबल के डकैतों ने डटकर मुकाबला किया. 35 वीर सपूतों ने समर्पण की बजाय शहादत का रास्ता चुना. हमले में क्रांतिकारी गेंदालाल दीक्षित के पैर में एक छर्रा लगा था और गोली आंख में लगी थी. ब्रह्मचारी को 14 गोलियां लगीं. दोनों को अंग्रेजी सेना ने गिरफ्तार कर लिया. वहीं एक दिन अंग्रेजी सेना के मुखबिर देवनारायण भारती ने जेल में उनके पास फलों की टोकरी में रिवाल्वर और लोहा काटने की आरी पहुंचा दी. इसके जरिए मुखबिर समेत वह जेल से आजाद हो गए.
इसके बाद मई गांव में क्रांतिकारी गेंदालाल दीक्षित के घर पर और राजस्थान कोटा में भाई के घर पर सीआईडी बैठा दी. तीन हजार का इनाम घोषित कर दिया गया, लेकिन जीते जी अंग्रेजी सेना उनको पकड़ नहीं सकी. कुख्यात सीआईडी अधीक्षक सेंटस ने जिला मैनपुरी में 37 देशभक्तों पर धारा 120 ए,120 बी के तहत केस चलाया. वहीं 1 सितंबर 1919 में जज बीएस क्रिश्च ने 10 क्रांतिकारियों को सजा सुनाई. शरीर कमजोर होने के साथ ही क्रांतिकारी को क्षय रोग ने चपेट में ले लिया.