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आगरा: 'कमांडर इन चीफ गेंदालाल दीक्षित' पुस्तक का हुआ विमोचन

यूपी के आगरा में तहसील बाह के गांव मई में 'कमांडर इन चीफ गेंदालाल दीक्षित' पुस्तक का शाह आलम ने विमोचन किया. पुस्तक विमोचन से चंबल की क्रांति का इतिहास जीवंत हुआ. इस दौरान पौधे रोपे गए. वहीं लोगों ने इतिहास को सहेजने की मांग की.

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क्रांतिकारी गेंदालाल दीक्षित पुस्तक का विमोचन.

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Published : Oct 19, 2020, 3:20 PM IST

आगरा:जिले के तहसील बाह क्षेत्र के अंतर्गत गांव मई में रविवार को क्रांतिकारी गेंदालाल दीक्षित के घर पर खंडहरों पर अवशेषों के बीच पुस्तक का विमोचन हुआ. क्रांतिकारी गेंदालाल दीक्षित के त्याग और बलिदान उनके परिजनों की आंखों से छलक पड़ा. क्रांतिकारी के जुड़े स्थलों पर पहुंचकर किताब का सृजन करने वाले शाह आलम ने चंबल के डकैतों को क्रांति की धारा में जोड़ने वाले अनछुए पहलुओं को संकलित किया. इस दौरान क्रांतिकारी गेंदालाल दीक्षित के स्मृति स्थलों को संरक्षित किए जाने और मई गांव में स्मारक बनाए जाने की मांग सरकार से की गई.

क्या है इतिहास

बाह क्षेत्र वीरों की भूमि मानी जाती है. यहां कई वीर योद्धाओं ने जन्म लिया और देश के लिए कुर्बान हो गए. यहां की वीर गाथाएं युवाओं में जोश भरती हैं. क्रांतिकारियों का 90 सदस्य दल मैनपुरी में डकैती की योजना को अंजाम देने के लिए मिहोना के चंबल बीहड़ में ठहरा हुआ था. उसी समय यंग ने साजिश रचकर क्रांतिकारियों को खाने में जहर खिला दिया और बेहोशी होने पर हमला बोल दिया. क्रांतिकारी बने चंबल के डकैतों ने डटकर मुकाबला किया. 35 वीर सपूतों ने समर्पण की बजाय शहादत का रास्ता चुना. हमले में क्रांतिकारी गेंदालाल दीक्षित के पैर में एक छर्रा लगा था और गोली आंख में लगी थी. ब्रह्मचारी को 14 गोलियां लगीं. दोनों को अंग्रेजी सेना ने गिरफ्तार कर लिया. वहीं एक दिन अंग्रेजी सेना के मुखबिर देवनारायण भारती ने जेल में उनके पास फलों की टोकरी में रिवाल्वर और लोहा काटने की आरी पहुंचा दी. इसके जरिए मुखबिर समेत वह जेल से आजाद हो गए.

इसके बाद मई गांव में क्रांतिकारी गेंदालाल दीक्षित के घर पर और राजस्थान कोटा में भाई के घर पर सीआईडी बैठा दी. तीन हजार का इनाम घोषित कर दिया गया, लेकिन जीते जी अंग्रेजी सेना उनको पकड़ नहीं सकी. कुख्यात सीआईडी अधीक्षक सेंटस ने जिला मैनपुरी में 37 देशभक्तों पर धारा 120 ए,120 बी के तहत केस चलाया. वहीं 1 सितंबर 1919 में जज बीएस क्रिश्च ने 10 क्रांतिकारियों को सजा सुनाई. शरीर कमजोर होने के साथ ही क्रांतिकारी को क्षय रोग ने चपेट में ले लिया.

दिल्ली में एक कोठी में उनकी पत्नी फूलमती उनके साथ थीं. हालत बिगड़ने पर दिल्ली के अर्बन हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. यहां उन्होंने 21 दिसंबर 1920 को अंतिम सांस ली. चंबल क्षेत्र वीर गाथाओं से भरा पड़ा है. बाह, इटावा, औरैया, भिंड, मुरैना, ग्वालियर धौलपुर तक क्रांति की अलख जगाने वाले बाह तहसील के मई गांव के क्रांतिकारी गेंदालाल दीक्षित मैनपुरी षडयंत्र केस के हीरो थे. शाह आलम ने 'कमांडर इन चीफ गेंदालाल दीक्षित' पुस्तक लिखकर चंबल क्षेत्र की क्रांति इतिहास को जीवंत किया है. लोगों द्वारा इसकी सराहना की जा रही है.

रोपे गए पौधे

क्रांतिकारी गेंदालाल दीक्षित के गांव मई में खंडहर पड़े घर पर पुस्तक विमोचन के बाद पौधे रोपे गए. इसमें अशोक, नीम, आम, बरगद और सहजना के 11 पौधे शामिल थे. इस मौके पर साहित्यकार डॉक्टर बीपी मिश्र, रमेश कटारा, शंकर देव तिवारी, महेश दीक्षित भतीजे, विजेंद्र दीक्षित, रामजी दीक्षित, कमल दीक्षित, राज त्रिपाठी, डॉक्टर कमल कुशवाहा, रंजीत सिंह आदि मौजूद रहे.

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