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विश्व मधुमेह दिवस: भारत में तेजी से बढ़ती 'मीठी मुसीबत'

14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस मनाया जाता है. मधुमेह के रोगियों को जागरूक करने के लिए वर्ष 1991 से हर साल यह दिवस मनाया जाने लगा. वहीं इस बार के मधुमेह दिवस की थीम 'परिवार और मधुमेह' है.

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Published : Nov 14, 2019, 12:15 AM IST

विश्व मधुमेह दिवस

आगरा: यूं तो जिंदगी में मिठास की जरूरत हमेशा होती है, लेकिन जब यही मिठास खून में घुल जाती है तो जीवन भर कड़वाहट का एहसास कराती रहती है. जरूरी है कि हम अपने खून के मिठास और जीवन के मिठास के स्तर को बनाए रखें. क्योंकि अगर यूं ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब भारत डायबिटीज देशों की राजधानी बन जाएगा. तनाव भरी जिंदगी, खाने का शौक और लापरवाही हमें मधुमेह रोग दे देती है, जिसे जीवन भर ढोना पड़ता है.

विश्व मधुमेह दिवस

डायबिटीज रोगियों की लगातार बढ़ती संख्या को देखते हुए लोगों को जागरूक करने के लिए 1991 से हर साल मधुमेह दिवस मनाने का फैसला किया गया. इंसुलिन की खोज करने वाले वैज्ञानिक फ्रेडरिक का जन्म 14 नवंबर को हुआ था. इसीलिए 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस मनाया जाने लगा.

डायबिटीज के प्रकार
डायबिटीज के तीन मुख्य प्रकार हैं -

टाइप 1 -मधुमेह किसी भी उम्र में विकसित हो सकता है, लेकिन बच्चों और किशोरों में सबसे अधिक होता है. जब आपको टाइप 1 मधुमेह होता है, तो आपका शरीर बहुत कम या इंसुलिन पैदा ही नहीं करता है, जिसका अर्थ है कि आपको नियंत्रण में रक्त शर्करा के स्तर को बनाए रखने के लिए दैनिक इंसुलिन इंजेक्शन की आवश्यकता होती है.

टाइप 2 - मधुमेह वयस्कों में अधिक आम है. लगभग 90% मधुमेह के मामले वयस्कों में पाए गए हैं. जब आपको टाइप 2 डायबिटीज होती है, आपका शरीर अपने द्वारा निर्मित इंसुलिन का अच्छा उपयोग नहीं कर पाता है. टाइप 2 मधुमेह में उपचार की आधारशिला स्वस्थ्य जीवन शैली है, जिसमें शारीरिक गतिविधि और स्वस्थ आहार शामिल हैं. हालांकि, समय के साथ टाइप 2 मधुमेह वाले अधिकांश लोगों को अपने रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रण में रखने के लिए मौखिक दवाओं और या इंसुलिन की आवश्यकता होती है.

गर्भाकालीन मधुमेह (जीडीएम)- यह एक प्रकार का मधुमेह है, जिसमें गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्त शर्करा होता है और यह माता और बच्चे दोनों के लिए जटिलताओं से जुड़ा होता है. जीडीएम आमतौर पर गर्भावस्था के बाद गायब हो जाता है, लेकिन प्रभावित महिलाओं और उनके बच्चों को जीवन में बाद में टाइप 2 मधुमेह के विकास का खतरा पैदा कर देता है.

विश्व मधुमेह दिवस 2018-19 की थीम
विश्व मधुमेह दिवस और विश्व मधुमेह माह वर्ष 2018 और 2019 का विषय “परिवार और मधुमेह” है. इसका उद्देश्य परिवार में मधुमेह से होने वाले प्रभाव के बारे में जागरूकता उत्पन्न करना और प्रभावित लोगों के समूह का सहयोग करना है

मधुमेह से बच्चों पर होने वाले दुष्प्रभाव और अभिभावकों द्वारा बचाव के लिए उठाए जाने वाले कदम
दुनिया भर में, मधुमेह की घटनाओं में वृद्धि हो रही है, और इसके परिणामस्वरूप बच्चों में मधुमेह बढ़ रहा है. अधिकांश बच्चे बचपन में टाइप 1 मधुमेह से प्रभावित होते हैं. अमेरिका में हालांकि, टाइप 2 मधुमेह से प्रभावित बच्चों और युवा वयस्कों की संख्या बढ़ रही है.
मधुमेह से लगभग 90% युवा टाइप 1 से पीड़ित हैं . जगह-जगह के बच्चे इस रोग से पीड़ित हो रहे हैं. हर साल मधुमेह के प्रति 17,000 बच्चे पीड़ित हो रहे हैं. मेटाबोलिक सिन्ड्रोम की वजह से , खराब आहार की वजह से टाइप 2 डायबिटीज बढ़ रहा है.

डायबिटीक बच्चों के परिजन को किन बातों का रखना चाहिएध्यान
डायबटिक बच्चों के परिजनों को अपने बच्चों के ग्लूकोज लेवल के बढ़ने घटने पर ध्यान देना चाहिए. माता-पिता को यह पता होना चाहिए कि मधुमेह वाले बच्चों को कौन सा आहार देना चाहिए, कौन सा प्रतिबंधित हैं. शुरुआत और अंत के समय में इस बीमारी की वजह से व्यक्ति तनाव में आ जाता है.
प्रारंभ में, रोग के उपचार की प्रक्रिया बहुत जटिल लग सकती है. परिवारजनों को यह समझना होगा कि रोग आपके बच्चे को कैसे प्रभावित करता है, उसके लिए उस प्रकार का वातावरण तैयार करना चाहिए.

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में खान-पान को लेकर लोग लापरवाह बने रहते हैं. डायबिटीज के बढ़ते मामलों के पीछे लोगों की अनियमित दिनचर्या का बहुत बड़ा हाथ है. यह बीमारी युवाओं में ज्यादातर शहरी क्षेत्रों के लोगों को अपनी चपेट में ले रही है. अगर हम अब भी सचेत न हुए तो इसके भयावह परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं.

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