आगरा:ताजनगरी में भले ही जिन्हें जाने-अनजाने में लाइलाज बीमारी मिली. जिसकी जांच रिपोर्ट से वे घबराए नहीं. डरे नहीं. डटे हैं. दवा और 'पॉजिटिव' सोच से नॉर्मल जिंदगी जी रहे हैं और अब लाइलाज बीमारी के नए मरीजों के हमदर्द बनकर उनका दर्द बांटकर हौसला अफजाई भी कर रहे हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं. उन 25 एचआईवी एड्स पीड़ितों की. जो, एसएन मेडिकल कॉलेज के एआरटी सेंटर पर सेवाएं दे रहे हैं. वहां आने वाले नए एड्स पीड़ितों का मनोबल बढ़ा रहे हैं. उन्हें बता रहे हैं कि, घबराएं नहीं. अब दवाएं अच्छी हैं. जिन्हें लेने से नार्मल की तरह जिंदगी बिता सकते हैं. बस नियमित दवाएं खाएं और सही खानपान रखें.
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एसएन मेडिकल कॉलेज के एआरटी सेंटर प्रभारी डॉ.जितेंद्र दौनेरिया ने बताया कि, सन् 2009 में एसएन मेडिकल कॉलेज (SN Medical College) में एआरटी सेंटर की शुरुआत हुई थी. तब से लेकर अब तक यहां पर 11610 एचआईवी एड्स के मरीज पंजीकृत हुए हैं, जिनमें से 4716 एचआईवी संक्रमित अभी भी दवा ले रहे हैं. अगर, एचआईवी एड्स पॉजिटिव की मौत के आंकड़ों की बात करें तो एआरटी सेंटर से पहले आगरा में 586 एचआईवी एड्स पीड़ित की मौत हुई थी. लेकिन, सेंटर खुलने के बाद देरी से एड्स पीड़ित यहां आए. इस वजह से आंकड़ा भयावह है. अब तक 2591 एचआईवी एड्स पीड़ित की मौत हो चुकी है.
एसएन मेडिकल कॉलेज के एआरटी सेंटर प्रभारी डॉ.जितेंद्र दौनेरिया ने बताया कि, एचआईवी एड्स की अब नई दवाएं बेहतर कारगर साबित हो रही है. एचआईवी पॉजिटिव यदि जल्द एआरटी सेंटर से जुड़े जाएं और समय से दवाएं लेना शुरू कर दें तो वे नॉर्मल लाइफ जी सकते हैं. जल्द दवा शुरू होने से शरीर में वायरस शरीर में एक्टिव नहीं हो पाता है, जिससे इम्यूनिटी कमजोर नहीं होती है. दूसरी बीमारी है उन्हें घेर नहीं पाती हैं.