आगरा:जिले के प्रतिष्ठित संस्थान दयालबाग शिक्षण संस्थान के शिक्षक द्वारा नवंबर 2020 में नाबालिग छात्रा को लेकर गंदी बात करने का मामला सामने आया था. जिसके बाद पीड़ित छात्रा की मां ने कॉलेज में शिकायत की थी, मगर संस्थान ने नाबालिग छात्रा के साथ ही संस्थान में पढ़ रहे उसके भाई तथा अवैतनिक प्रवक्ता के पद पर कार्यरत उसकी मां को निकाल दिया था, यही नहीं शिक्षण संस्थान में कार्यरत मां की सहेली को भी संस्थान ने निकाल दिया गया था. जिसके बाद पीड़ित की मां ने महिला आयोग में अपनी शिकायत दर्ज कराई. शिकायत के बाद महिला आयोग तुरंत हरकत में आया और संज्ञान लिया. आयोग ने आगरा एसएसपी से रिपोर्ट तलब कर दिया है और पांच दिन में पॉक्सो एक्ट व अन्य धाराएं बढ़ाकर रिपोर्ट को कोर्ट में तलब करने को कहा है.
दरअसल, नवंबर 2020 में नाबालिग छात्रा से दयालबाग शिक्षण संस्थान के शिक्षक हेमंत तोमर के कहने पर बीकॉम के अंतिम वर्ष के छात्र ने नाबालिग छात्रा की सहेली से दोस्ती कर उसका नंबर प्राप्त किया था. जिसके बाद छात्र ने शिक्षक हेमंत तोमर को नाबालिग छात्रा का नंबर दे दिया था. इस पूरे प्रकरण की जानकारी जब नाबालिग छात्रा की सहेली को हुई तो सहेली ने नाबालिग छात्रा को पूरी घटना बताई और सारे मैसेज दिखाए. इसके बाद नाबालिग छात्रा ने अपनी मां से पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी.
नाबालिग छात्रा की मां को जब पूरी बात पता चली तो कॉलेज में शिकायत की, मगर शिक्षक हेमंत तोमर और छात्र उमंग श्रीवास्तव के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई, बल्कि संस्थान द्वारा ही नाबालिग छात्रा उसके भाई और मां और मां की सहेली को संस्थान से निकाल दिया गया. जिसके बाद पीड़िता की मां ने जनवरी 2021 में थाना न्यू आगरा में आरोपी शिक्षक हेमंत, उमंग श्रीवास्तव, डायरेक्टर प्रोफेसर पीके कालरा और प्रिंसिपल माला बल के खिलाफ शिकायत की. थाना न्यू आगरा इंस्पेक्टर के द्वारा 6 जनवरी को धारा 294 में मुकदमा दर्ज कर लिया गया मगर उसमें पॉक्सो एक्ट तथा अन्य धाराएं नहीं लगाई गईं.
आखिरकार न्याय के लिए कई महीनों से भटकता परिवार चाइल्ड एक्टिविस्ट संस्था के नरेश पारस से भी मदद मांगी. इसके बाद नरेश पारस ने राज्य महिला आयोग की सदस्य निर्मला दीक्षित से शिकायत की. निर्मला दीक्षित ने पूरे प्रकरण में गंभीरता से लेते हुए एसएसपी को पत्र जारी कर 5 दिन में रिपोर्ट तलब करने को कहा है. रिपोर्ट के साथ ही पॉक्सो तथा अन्य संबंधित धाराएं बढ़ाकर न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल करने और पीड़िता, उसके भाई को कॉलेज में दाखिल कराने एवं मां को भी कॉलेज में प्रवक्ता के पद पर बहाल करने को कहा है.
दरअसल, नाबालिग छात्रा की मां, पिता के स्वर्गवास होने के बाद वर्ष 2013 से अवैतनिक प्रवक्ता के पद पर कार्यरत हैं, और छोटा बुटीक चला कर अपने घर का गुजारा करती हैं. लेकिन न्याय के लिए कई महीनों से पूरा परिवार भटक रहा है. दोनों ही बच्चे स्कूल से निकाले जाने की वजह से पढ़ाई भी नहीं हो पा रही. जिस वजह से पूरा परिवार अवसाद में चला गया है.