आगरा: ताजनगरी के पट्टी पंचगई और आस-पास के पांच गांवों के लोग पानी की मांग को लेकर अनशन पर बैठे हैं. गांव के लोग पानी की टंकी पर ही अनशन पर बैठ गए हैं और साफ-सुथरा पानी नहीं दिए जाने तक लगातार अनशन करने की चेतावनी भी दे रहे हैं. बता दें कि इस क्षेत्र में भूगर्भ जल में फ्लोराइड की मात्रा बहुत अधिक है, जिसके कारण यहां के अधिकांश लोग विकलांग हो गए हैं. ग्रामीणों का कहना है कि 15 सौ करोड़ रुपये की योजनाओं को ग्रामीणों के बीच लाया गया है परंतु कोई काम नहीं हुआ.
क्रमिक अनशन पर बैठे ग्रामीण
जिले के ब्लॉक बरौली अहीर की ग्राम पंचायत खेड़ा पचगाई पट्टी सहित कई गांव में फ्लोराइड की समस्या बनी हुई है. गांव के लोग पानी की टंकी पर बुधवार से अनिश्चितकालीन अनशन करते हुए गंगाजल की मांग कर रहे हैं. स्थानीय निवासी कायम सिंह काका ने बताया है कि हमारे गांव में फ्लोराइड युक्त पानी के चलते लोग जवानी में ही बूढ़े हो जाते हैं. बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी के हाथ-पैर टेढ़े-मेढ़े हो जाते हैं यह समस्या लगभग 20 वर्ष से बनी हुई है.
ग्राम प्रधान राधेश्याम कुशवाहा ने बताया है कि उन्होंने अपने गांव की समस्या को शासन प्रशासन तक कई बार पहुंचाया है और आज एक बार फिर हम गंगाजल की मांग करते हैं. उन्होंने कहा कि, हम काफी समय से गंगाजल की मांग करते चले आ रहे हैं, परंतु हमारी समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है. स्थानीय निवासी एडवोकेट गिरीश शर्मा ने बताया है कि वह अपने क्षेत्र की समस्या को लेकर शासन प्रशासन को कई बार अवगत करा चुके हैं. खेड़ा पचगाई से 3 किलोमीटर दूर गंगाजल है. 3 किलोमीटर की दूरी से अगर गंगाजल उन्हें मिलता है तो उनके गांव में फैल रही अनेक प्रकार की बीमारियों से ग्रामीणों को छुटकारा मिल जाएगा.
20 साल में 15 सौ करोड़ खर्च फिर भी पानी को तरस रहे हैं ग्रामीण - agra villagers face water problem
ताजनगरी आगरा के पट्टी पंचगई और आस-पास के पांच गांवों के लोग पानी की मांग को लेकर अनशन पर बैठे हैं. लोगों का कहना है कि उन्हें साफ सुथरा पानी नहीं दिया जा रहा है जिसको लेकर वह यहां अनशन पर बैठे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि सुनवाई नहीं होने पर उनका अनशन आगे भी जारी रहेगा.
पानी को तरसते ग्रामीण
उन्होंने बताया है कि उत्तर प्रदेश जल निगम संस्था द्वारा अब तक इस कार्य में लगभग 1500 करोड़ रुपये की योजनाओं को ग्रामीणों के बीच लाया गया है परंतु यह सभी योजनाएं अधर में ही दम तोड़ चुकी हैं. ग्रामीण आज भी फ्लोराइड की समस्या से जूझ रहे हैं.