आगराःयमुना निर्मल और स्वच्छ बनाने के लिए यमुना एक्शन प्लान वन और यमुना एक्शन प्लान टू में हजारों करोड़ रुपये बह गए. इसके बावजूद कालिंदी प्रदूषित और दम तोड़ रही है. हालात ऐसे हैं कि आगरा में यमुना जल छूने लायक नहीं है. आचमन की बात दूर है, क्योंकि आगरा में सीधे नाले यमुना नदी में गिर रहे हैं. जबकि जिम्मेदार अधिकारी नालों को टैप करने और एसटीपी से सीवरेज शोधन के बाद यमुना में साफ पानी जाने का दावा करते हैं. उत्तर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नगर निगम क्षेत्र के नालों के निरीक्षण किया, जिसमें अधिकारियों के दावों की पोल खुल गई. बोर्ड ने अब निरीक्षण रिर्पोट के आधार पर शहर के आठ नालों के जरिए गंदगी और सीवेज सीधे यमुना में गिरने पर नगर निगम पर 9.35 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है.
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी डॉ. विश्वनाथ शर्मा ने बताया कि आगरा नगर निगम के नगरायुक्त को एनजीटी के आदेश के मुताबिक बिना ट्रीटमेंट सीधे यमुना में नाले गिरने पर हर नाले पर 5 लाख रुपये प्रतिमाह का जुर्माना लगाया है. बोर्ड ने पर्यावरण क्षतिपूर्ति के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एनजीटी के 21 मई 2020 को जारी किए गए जुर्माना आदेश को आधार बनाया है. क्योंकि उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से इस साल 24 जनवरी को आगरा के ताज पूर्वी गेट, मंटोला, वाटरवर्क्स, नारायच, भैरो नाला, बूढ़ी का नगला, अनुराग नगर, पीलरवार का निरीक्षण किया था, जिसकी निरीक्षण रिपोर्ट 25 फरवरी 2023 को भेजी गई थी.
यूं खुली अधिकारियों के दावों की पोल
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी डॉ. विश्वनाथ शर्मा ने बताया कि पांच लाख रुपये प्रति नाले के हिसाब से अलग-अलग समय के लिए जुर्माना का नोटिस दिया गया है. निरीक्षण में केवल दो नालों पर ही बायोरेमेडिएशन का काम होता मिला था. इससे पहले भी बोर्ड ने 29 जून से 28 दिसंबर 2022 तक सात बार यमुना नदी में गिरने वाले नालों का निरीक्षण किया था, जिसमें यह खुलासा हुआ था कि नगर निगम ने केवल आंशिक रूप से नाले टैप किए हैं. इसलिए ये नाले ओवरफ्लो हो जाते हैं, जिससे सीवेज सीधा यमुना नदी में मिलता है. इससे यमुना नदी के जल की गुणवत्ता प्रभावित होती है.
पहले इन पर लगाया गया है जुर्माना
बता दें कि एनजीटी ने फरवरी में नालंदा टाउन का सीवर खुले मैदान में छोड़ने पर एडीए पर दो करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था. इसी मामले में उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मालदा टाउन के बिल्डर राधेश्याम शर्मा पर 2 करोड़ 13 लाख 98 हजार 438 रुपये का जुर्माना लगाया था. बोर्ड साल 2019 में नेशनल हाईवे अथारिटी पर 6.84 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया था. इसके साथ ही जलनिगम, एडीए और यूपी मेट्रो पर भी पर्यावरण क्षतिपूर्ति के चलते जुर्माना लगाया जा चुका है.