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औरंगजेब ने जहां शिवाजी महाराज को किया था कैद, वहां म्यूजियम बनाएगी योगी सरकार - औरंगजेब की कैद में छत्रपति शिवाजी

मुगल शासक औरंगजेब की कैद में छत्रपति शिवाजी महाराज ने 99 दिनों तक आगरा में रहे. ऐसे में पर्यटन विभाग आगरा में शिवाजी महाराज से जुड़े स्थान चिह्नित करके वहां पर संग्रहालय बनाएगा. इसके लिए पांच सदस्यों की टीम गठित की है, जो 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपेगी.

स्पेशल रिपोर्ट
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Published : Jul 14, 2021, 1:03 PM IST

Updated : Jul 14, 2021, 11:19 PM IST

आगरा: योगी सरकार ने सपा के ड्रीम प्रोजेक्ट मुगल संग्रहालय (Mughal Museum) का नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी महाराज कर दिया है. जिला प्रशासन एक बार फिर छत्रपति शिवाजी महाराज के आगरा आगमन से संबंधित ऐतिहासिक साक्ष्यों का संकलन करा रहा है. जिससे पर्यटन विभाग शिवाजी के नाम पर नया संग्रहालय बनवा सके. म्यूजियम में छत्रपति शिवाजी को समर्पित एक गैलरी बनेगी.


इतिहास पर नजर डालें तो 11 मई 1666 ईसवी को शिवाजी महाराज आगरा आए थे. आगरा किला में औरंगजेब और शिवाजी महाराज की मुलाकात हुई थी. इस दौरान उचित सम्मान नहीं मिलने पर छत्रपति शिवाजी महाराज ने नाराजगी जताई. इस पर औरंगजेब ने पहले शिवाजी महाराज और शंभाजी को नजरबंद किया और फिर कैद कर लिया. शिवाजी आगरा में औरंगजेब की कैद में 99 दिन रहे. इसका जिक्र इतिहासकार जदुनाथ सरकार ने अपनी किताब औरंगजेब में किया है. इतिहासकार राजकिशोर राजे के मुताबिक मुगल बादशाह औरंगजेब ने शिवाजी महाराज को जयपुर हाउस में कोठी मीना बाजार मैदान के समीप स्थित चौबेजी की कोठी में रखा था. लेकिन, शिवाजी बड़ी चतुराई के साथ अपने बेटे के साथ औरंगजेब की कैद से निकल गए थे. इसके साथ ही अन्य स्थानों से भी शिवाजी का इतिहास जुड़ा है. जिसका जिक्र भी इतिहासकारों ने अपनी किताबों में किया है.

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पांच सदस्यीय टीम करेगी जांच

पर्यटन विभाग को शिवाजी महाराज से जुड़े स्थान चिह्नित करके वहां पर संग्रहालय बनाना है. मगर, जिला प्रशासन के पास शिवाजी के आगरा आगमन से संबंधित आधारभूत या अधिकृत जानकारी नहीं हैं. इसलिए एडीएम सिटी डाॅ. प्रभाकांत अवस्थी ने शिवाजी के गौरवशाली इतिहास की अधिकृत जानकारी जुटाने के लिए पांच सदस्यीय समिति गठित की है. कमेटी शिवाजी से जुडे चिह्नित स्थल के सरकारी या गैर सरकारी भूमि पर होना, भू-राजस्व अधिनियम के प्रावधानों के तहत भूमि का मूल्यांकन और वर्तमान यथा स्थिति पर अपनी रिपोर्ट 15 दिन में उपलब्ध करानी है.


एडीएम सिटी डाॅ. प्रभाकांत अवस्थी ने सिटी मजिस्ट्रेट अरुण कुमार की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय जांच कमेटी बनाई है. जिसमें अपर नगर मजिस्ट्रेट तृतीय वीके गुप्ता, तहसीलदार सदर प्रेमपाल सिंह, क्षेत्रीय अभिलेख अधिकारी रमेशचंद्र और पर्यटन सूचना अधिकारी प्रदीप टमटा सदस्य हैं. कमेटी के अध्यक्ष सिटी मजिस्ट्रेट अरुण कुमार का कहना है कि कमेटी में इतिहासकारों की राय भी ली जाएगी. कमेटी में इतिहासकार भी शामिल किए जाएंगे. जिससे इतिहास की सही जानकारी हो सके.

पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

विधानसभा में भाजपा दल के मुख्य सचेतक व आगरा दक्षिण विधानसभा के विधायक योगेंद्र उपाध्याय ने बताया कि, मैंने अपने दूसरे विधायकी के कार्यकाल में आगरा में पर्यटन और पर्यटन केंद्रों के विकास का संकल्प लिया था. उसी दौरान आरएसएस के सह सरकारवाह डाॅ. कृष्णगोपाल ने प्रेरणा दी कि, शिवाजी महाराज को आगरा किला नहीं, किसी कोठी में कैद करके रखा था. इतिहासकार, पुरातत्वविदों से मिलकर जानकारी हुई कि, जयपुर के राजा रामसिंह की कोठी में शिवाजी महाराज को कैद करके रखा गया था. जयपुर हाउस में अब कोठी मीनाबाजार है. जिसके बाद सीएम योगी और पर्यटन मंत्री नीलकंठ तिवारी से स्वीकृति बनी कि कोठी मीना बाजार को शिवाजी के स्मारक के रूप में विकसित किया जाए. जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और हमारी आने वाली पीढ़ी को भी प्रेरणा मिलेगी.


इसे भी पढ़ें-आगरा में शिवाजी के नाम पर एक और संग्रहालय बनाए जाने पर राजनीति शुरू


बता दें कि, मुगल बादशाह औरंगजेब के द्वारा आगरा किले में शिवाजी महाराज को बंधक बनाने की किंवदंती प्रचलित है. इसी आधार पर सन 2003 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग यानी एएसआई ने आगरा किले के वाटर गेट के नजदीक कोठरियों में शिवाजी की जेल बताकर संरक्षण किया. जिस पर करीब 45 लाख रुपये खर्च हुए. इसे सैलानियों के लिए खोले जाने की तैयारी थी. तब तत्कालीन केंद्रीय पर्यटन मंत्री जगमोहन उद्घाटन करने आने वाले थे. मगर, इतिहासकार राजकिशोर राजे ने इस पर आपत्ति जताई. इससे केंद्रीय मंत्री का कार्यक्रम टल गया. सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मांगने पर एएसआई ने शिवाजी महाराज को आगरा किला में बंधक बनाए जाने का कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं होना बताया.

Last Updated : Jul 14, 2021, 11:19 PM IST

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