आगरा: आगरा कैंट से सटे नगला पुलिया में हर दिन दस हजार से ज्यादा लोग खतरों से खेलते हैं. पांच किलोमीटर की दूरी तय करने से बचने को लोग हर दिन ट्रेन या मालगाड़ी के नीचे से शॉर्टकट मारते हैं. क्योंकि, लॉकडाउन में रेलवे और आरपीएफ ने रेलवे ट्रैक की पुलिया को स्लीपर से बंद कर दिया. अब बारिश में बंद पुलिया में पानी भर गया है. इससे तीन लाख से ज्यादा जनता की मुसीबत बढ़ गई है. लोग यहां पर अंडरपास बनाने की मांग कर रहे हैं. इसका स्टीमेट बन गया है, लेकिन बजट के अभाव में लोगों की सुविधा अटकी हुई है.
आगरा कैंट के पास स्थित नगला पुलिया के पास अंडरपास बनाने को लेकर खूब राजनीति भी हुई. विधायक और सांसद के साथ ही यहां के पार्षदों ने भी खूब जनता से वादे किए. आगरा के पूर्व सांसद प्रो. रामशंकर कठेरिया ने भी अंडरपास बनाने को लेकर मौके पर धरना प्रदर्शन भी किया था, लेकिन फिर भी अभी तक अंडरपास नहीं बना है, जबकि लगातार लोग अंडरपास बनाए जाने की मांग कर रहे हैं.
क्षेत्रीय विकास समिति के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र कुमार आर्य का कहना है कि पुलिया बंद होने और अंडरपास नहीं बनने से यहां पर बच्चों से लेकर बड़ों सभी को परेशानी होती है. लोग ट्रेन के नीचे से गुजर कर रेलवे ट्रैक पार करते हैं. इतना ही नहीं जब किसी की मौत हो जाती है और श्मशान घाट तक अंतिम यात्रा जाती है. उस दौरान यदि ट्रेन आ गई और ट्रैक पर खड़ी हो गई तो शव की अंतिम यात्रा ट्रेन के नीचे से होकर निकालते हैं. हर दिन इसी तरह दस हजार से ज्यादा लोग रेलवे ट्रैक पार करते हैं.
स्थानीय निवासी जयराम सिंह कुशवाह का कहना है, कि रेलवे ने अंडरपास बनाने के लिए एनओसी भी दे दी. अंडरपास बनाने के लिए एस्टीमेट भी बन गया. 8.63 करोड़ रुपये अंडरपास बनाने पर खर्च होने हैं. लेकिन रेलवे का कहना है कि इस बजट को या तो केंद्र सरकार दे या राज्य सरकार, तभी अंडरपास को बनाया जा सकता है.
स्थानीय निवासी फूलवती का कहना है कि रेलवे ट्रैक पर जब ट्रेन खड़ी होती है. उस समय ट्रेन के नीचे से गुजर कर हम निकलते हैं. कोई सुनवाई नहीं हो रही है. स्थानीय निवासी मुन्नी देवी का कहना है कि छोटे-छोटे बच्चों को बच्चे ट्रेन के नीचे से गुजर कर रेलवे ट्रैक पार करते हैं. तब स्कूल जाते हैं. सभी की जान खतरे में है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है.