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आगरा: रोजाना खतरे से गुजर रहीं 10 हजार जिंदगियां, अंडरपास पर अटकी सुई

उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में नगला पुलिया के पास रेलवे अंडरपास बनाने को लेकर 10 साल से क्षेत्रीय विकास समिति और जनप्रतिनिधि आवाज उठा रहे हैं. जनता आंदोलन कर रही है, फिर भी रेल अधिकारी सुनवाई नहीं कर रहे हैं. क्योंकि रेलवे के रिकॉर्ड में पुलिया पानी की निकासी की है. यह पुलिया लोगों के आवागमन की नहीं है, जो कि सबसे बड़ी बाधा साबित होती दिख रही है.

अंडरपास न बनने से बढ़ा खतरा.
अंडरपास न बनने से बढ़ा खतरा.

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Published : Aug 31, 2020, 12:49 AM IST

आगरा: आगरा कैंट से सटे नगला पुलिया में हर दिन दस हजार से ज्यादा लोग खतरों से खेलते हैं. पांच किलोमीटर की दूरी तय करने से बचने को लोग हर दिन ट्रेन या मालगाड़ी के नीचे से शॉर्टकट मारते हैं. क्योंकि, लॉकडाउन में रेलवे और आरपीएफ ने रेलवे ट्रैक की पुलिया को स्लीपर से बंद कर दिया. अब बारिश में बंद पुलिया में पानी भर गया है. इससे तीन लाख से ज्यादा जनता की मुसीबत बढ़ गई है. लोग यहां पर अंडरपास बनाने की मांग कर रहे हैं. इसका स्टीमेट बन गया है, लेकिन बजट के अभाव में लोगों की सुविधा अटकी हुई है.

आगरा कैंट के पास स्थित नगला पुलिया के पास अंडरपास बनाने को लेकर खूब राजनीति भी हुई. विधायक और सांसद के साथ ही यहां के पार्षदों ने भी खूब जनता से वादे किए. आगरा के पूर्व सांसद प्रो. रामशंकर कठेरिया ने भी अंडरपास बनाने को लेकर मौके पर धरना प्रदर्शन भी किया था, लेकिन फिर भी अभी तक अंडरपास नहीं बना है, जबकि लगातार लोग अंडरपास बनाए जाने की मांग कर रहे हैं.

अंडरपास न बनने से बढ़ा खतरा.

क्षेत्रीय विकास समिति के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र कुमार आर्य का कहना है कि पुलिया बंद होने और अंडरपास नहीं बनने से यहां पर बच्चों से लेकर बड़ों सभी को परेशानी होती है. लोग ट्रेन के नीचे से गुजर कर रेलवे ट्रैक पार करते हैं. इतना ही नहीं जब किसी की मौत हो जाती है और श्मशान घाट तक अंतिम यात्रा जाती है. उस दौरान यदि ट्रेन आ गई और ट्रैक पर खड़ी हो गई तो शव की अंतिम यात्रा ट्रेन के नीचे से होकर निकालते हैं. हर दिन इसी तरह दस हजार से ज्यादा लोग रेलवे ट्रैक पार करते हैं.

स्थानीय निवासी जयराम सिंह कुशवाह का कहना है, कि रेलवे ने अंडरपास बनाने के लिए एनओसी भी दे दी. अंडरपास बनाने के लिए एस्टीमेट भी बन गया. 8.63 करोड़ रुपये अंडरपास बनाने पर खर्च होने हैं. लेकिन रेलवे का कहना है कि इस बजट को या तो केंद्र सरकार दे या राज्य सरकार, तभी अंडरपास को बनाया जा सकता है.

स्थानीय निवासी फूलवती का कहना है कि रेलवे ट्रैक पर जब ट्रेन खड़ी होती है. उस समय ट्रेन के नीचे से गुजर कर हम निकलते हैं. कोई सुनवाई नहीं हो रही है. स्थानीय निवासी मुन्नी देवी का कहना है कि छोटे-छोटे बच्चों को बच्चे ट्रेन के नीचे से गुजर कर रेलवे ट्रैक पार करते हैं. तब स्कूल जाते हैं. सभी की जान खतरे में है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

गर्भवती को अस्पताल ले जाने में मुश्किल
आशा कार्यकर्ता प्रभा देवी का कहना है कि जब किसी गर्भवती महिला की तबीयत खराब होती है तो बहुत दिक्कत आती है. हम दूसरे रास्ते राधेवाली गली से उसे लेकर जाते हैं, तो खराब रास्ते होने से बच्चा भी गिर जाता है. कई बार ऐसा हुआ है कि जब गर्भवती महिला को रेलवे ट्रैक से लेकर के गए. ट्रैक पर ट्रेन खड़ी मिली. इस वजह से गर्भवती को ट्रेन के नीचे से निकाला गया, जो उसके लिए खतरा साबित हुआ.

रेलवे रिकॉर्ड में पानी की पुलिया
स्थानीय निवासी रिटायर्ड रेलकर्मी पदम सिंह का कहना है, कि रेलवे की ओर से पानी की निकासी के लिए पुलिया बनाई गई थी. अब रेलवे का यह कहना है कि वह अंडरपास नहीं बना सकते हैं. क्योंकि उनके रिकॉर्ड में पानी की निकासी की पुलिया है. इस वजह से लोगों की सुविधा रुकी हुई है.

पांच किमी. काबचता है फेर
स्थानीय निवासी बलराम सिंह यादव का कहना है कि अकेले नगला पुलिया ही नहीं, पास के शिव नगर महावीर नगर, राधेवाली गली, चंदन विहार, बाल्मीकि बस्ती, नरीपुरा अन्य ऐसी जगह है, जहां के लोगों को अंडरपास बनाने की जरूरत है. क्योंकि अंडरपास बन जाएगा तो उनके 5 किलोमीटर की दूरी का फेर बच जाएगा.

आगरा रेल मंडल के पीआरओ एसके श्रीवास्तव का कहना है कि नगला पुलिया से लेकर मुस्तफा का क्वार्टर तक दोनों ओर हादसे रोकने के लिए बाउंड्री वॉल का निर्माण किया जा रहा है. इसी वजह से अब पुलिया को बंद किया गया है.

इन इलाकों के लोग होते हैं परेशान
नगला पुलिया, मुस्तफा क्वार्टर, धनौली अजीजपुर, उदा का नगला, बुद्धा का नगला, नरीपुरा, शिव नगर, महावीर नगर, राधेवाली गली, 12 बीघा वाली गली, बाल्मिक बस्ती, मुल्ला की प्याऊ, रेलवे कॉलोनी, आगरा कैंट, सोहल्ला, न्यू जनता कॉलोनी, साईं बिहार और आसपास की कॉलोनी और बस्तियों के लोग प्रभावित होते हैं.

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