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बटेश्वर पशु मेले में बिकने पहुंचीं दस लाख की ये दो सफेद घोड़ियां...जानिए पूरी खबर

आगरा के ब्लॉक बाह क्षेत्र में बटेश्वर पशु मेला दो नवंबर से शुरू होने जा रहा है. इस मेले में एक किसान दस लाख कीमत वाली दो घोड़ियों को बेचने के लिए पहुंचा है. कुछ व्यापारियों ने इन घोड़ियों की कीमत आठ लाख रुपये तक लगा दी है.

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Published : Nov 1, 2021, 9:42 PM IST

आगरा के ब्लॉक बाह क्षेत्र में बटेश्वर पशु मेला दो नवंबर से शुरू होने जा रहा है.
आगरा के ब्लॉक बाह क्षेत्र में बटेश्वर पशु मेला दो नवंबर से शुरू होने जा रहा है.

आगराः जनपद के ब्लॉक बाह क्षेत्र के अंतर्गत तीर्थ धाम बटेश्वर में दो से 24 नवंबर तक पशु मेले का आयोजन होगा. इस मेले में भाग लेने के लिए कई राज्यों से किसान पशु लेकर पहुंचने लगे हैं. दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश समेत दूरदराज के कई राज्यों से किसान पशु लेकर पहुंच रहे हैं. इस मेले में एक किसान की दो घोड़ियां आकर्षण का केंद्र बनी हुईं हैं. इनकी कीमत दस लाख रुपये बताई जा रही है.

तहसील बाह क्षेत्र के यमुना किनारे बसा तीर्थ धाम बटेश्वर में हर वर्ष उत्तर भारत का प्रसिद्ध पशु एवं लोक मेले का आयोजन जिला पंचायत की ओर से किया जाता है. बीते दो वर्षों से कोरोना संक्रमण होने की वजह से इस मेले का आयोजन नहीं हो सका था. अब दो नवंबर से फिर से यह मेला लगने जा रहा है. इस मेले में भाग लेने के लिए कई राज्यों से किसान पशुओं को लेकर पहुंच रहे हैं. कई नस्लों के घोड़े यहां पहुंच चुके हैं. पशुओं की खरीद फरोख्त भी शुरू हो गई है.

बटुकेश्वर पशु मेले में बिकने पहुंची घोड़ी रामकली और सोनकली.

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इस मेले में मध्य प्रदेश के जिला भिंड के उमरी गांव निवासी घोड़ा व्यापारी रामअवतार यादव अपनी दो सफेद घोड़ियों सोनकली और रामकली की 10 लाख रुपए कीमत मांग रहे हैं. हालांकि कुछ व्यापारियों ने इन दोनों घोड़ियों की कीमत आठ लाख रुपये तक लगा दी हैं. इसी मेले में चकरनगर इटावा निवासी तेज भारती की दो घोड़ियों रामा और राधा की छह लाख रुपये कुछ व्यापारियों ने कीमत लगा दी है. यहां घोड़ों का व्यापार अब धीरे-धीरे परवान चढ़ रहा है. पशु मेले में आने वाले व्यापारियों को पानी और बिजली की समस्या का सामना करना पड़ रहा है. व्यापारियों ने इसके लिए जिला पंचायत से गुहार लगाई है. आपको बता दें कि यह मेला करीब 375 साल पुराना है और उत्तर भारत के प्रमुख पशु मेलों में एक है.

बटुकेश्वर पशु मेले में बिकने पहुंचे पशु.

आपको बता दें, सन 1646 में तत्कालीन भदावर नरेश बदन सिंह ने बटेश्वर मेला का आगाज किया था. मेले के पहले चरण में बैल, गाय एवं दूसरे चरण में घोड़े, ऊंट, गधे, खच्चर एवं तीसरे चरण में लोक मेले का किया जाता है. बटेश्वर में एकादशी व पूर्णिमा को महामंडलेश्वर बाबा बालक दास के नेतृत्व में नागा साधु संत अपने करतब दिखाते हुए बटेश्वर तीर्थ की परिक्रमा करने के साथ शाही स्नान करते हैं. वहीं विशाल बटेश्वर मेले में दूरदराज के व्यापारी अपनी दुकानें लेकर पहुंचते हैं. भारत के कई राज्यों से लोग बटेश्वर मेला में खरीदारी करने के लिए पहुंचते हैं. उत्तर भारत के प्रमुख तीर्थ बटेश्वर में मेले के आयोजन से लोगों को रोजगार मिलता है.

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