आगराःजिला प्रशासन एक बार फिर छत्रपति शिवाजी महाराज के आगरा आगमन से संबंधित ऐतिहासिक साक्ष्यों का संकलन करा रहा है. जिससे पर्यटन विभाग शिवाजी के नाम पर नया संग्रहालय बनवा सके. इसके पहले योगी सरकार ने सपा के ड्रीम प्रोजेक्ट मुगल संग्रहालय (Mughal Museum) का नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी महाराज कर दिया है. अब शिवाजी के नाम पर दूसरा संग्राहलय बनाने को लेकर राजनीति गरमा गई है. सपा ने इस पर सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. सपा का कहना है कि भाजपा को विधानसभा चुनाव से पहले महापुरुषों की याद आ रही है. वहीं, इतिहासकार और अन्य प्रबुद्धजन भी एक ही महापुरुष के नाम पर दो संग्रहालय (Museum) बनाने पर सवाल उठा रहे हैं.
शिवाजी के नाम पर आगरा में बनेगा एक और संग्रहालय. इसे भी पढ़ें-ताज संग 'सेल्फी' और 'फोटो' दिलाएगा इनाम...जानें पूरा मामला
बता दें कि हिंदू स्वरााज्य के प्रणेता छत्रपति शिवाजी महाराज 11 मई-1666 को मुगल बादशाह औरंगजेब से मिलने आगरा आए थे. आगरा किला में औरंगजेब और शिवाजी की मुलाकात दीवान-ए-खास में हुई थी. उचित सम्मान नहीं मिलने पर शिवाजी ने नाराजगी जताई तो औरंगजेब ने उन्हें और उनके बेटा शंभाजी को नजरबंद करके कैद करा लिया था. शिवाजी चतुराई से औरंगजेब की कैद से निकल गए. शिवाजी आगरा में औरंगजेब की कैद में 99 दिन रहे.
संग्रहालय के लिए जमीन तलाश रहा जिला प्रशासन
जिला प्रशासन के पास शिवाजी के आगरा आगमन से संबंधित आधारभूत या अधिकृत जानकारी नहीं हैं. जबकि, पर्यटन विभाग की शिवाजी से जुड़े स्थान चिह्नित करके संग्रहालय बनाने की योजना है. यह सब आगरा दक्षिण विधानसभा के भाजपा के विधायक योगेंद्र उपाध्याय की मांग पर हो रहा है. वहीं, एडीएम सिटी डाॅ. प्रभाकांत अवस्थी ने शिवाजी के गौरवशाली इतिहास की अधिकृत जानकारी जुटाने के लिए पांच सदस्यीय समिति गठित किया है. कमेटी को शिवाजी से जुड़े स्थान को चिह्नित करना है. सरकारी या गैर सरकारी भूमि, भू राजस्व अधिनियम के प्रावधानों के तहत भूमि का मूल्यांकन और वर्तमान यथा स्थिति पर अपनी रिपोर्ट 15 दिन में उपलब्ध करानी है. सिटी मजिस्ट्रेट अरुण कुमार की अध्यक्षता में बनी कमेटी में एसीएम तृतीय वीके गुप्ता, तहसीलदार सदर प्रेमपाल सिंह, क्षेत्रीय अभिलेख अधिकारी रमेशचंद्र और पर्यटन सूचना अधिकारी प्रदीप टमटा हैं. कमेटी अध्यक्ष सिटी मजिस्ट्रेट अरुण कुमार का कहना है कि इतिहासकारों की राय भी ली जाएगी. इसके अलावा कमेटी में इतिहासकार भी शामिल किए जाएंगे. जिससे इतिहास की सही जानकारी हो सके.
योगी सरकार बदल चुकी है मुगल म्यूजियम का नाम
बता दें कि 14 सितंबर 2020 को योगी सरकार ने आगरा में बन रहे मुगल म्युजियम का नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी महाराज संग्राहलय कर दिया था. इसको लेकर खूब राजनीति गरमाई थी. नाम बदलने के बाद भी संग्राहलय का काम अधूरा ही पड़ा है. अब शिवाजी के नाम पर आगरा में दूसरा संग्राहलय बनाने को जिला प्रशासन इतिहास और जमीन तलाश रहा है.
शिवाजी महाराज हमारी प्रेरणाः विधायक योगेंद्र
विधानसभा में भाजपा दल के मुख्य सचेतक व आगरा दक्षिण विधानसभा के विधायक योगेंद्र उपाध्याय ने बताया कहा कि छत्रपति शिवाजी के नाम पर संग्रहालय बनाना हमारा चुनावी मुद्दा नहीं है. उन्होंने कहा कि 2017 के बाद से ही मैंने इस दृष्टि से सोचना शुरू किया था. 2018 में आरएसएस के डाॅ. कृष्णगोपाल ने मुझे प्रेरणा दी, इसके बाद यह काम शुरू हुआ था. विधायक ने कहा कि विपक्ष का काम तो हर अच्छे काम में आरोप लगाना है. शिवाजी महाराज राजनीति के लिए नहीं है. शिवाजी महाराज हमारी प्रेरणा हैं. आने वाली पीढ़ी को उनसे प्रेरणा मिलती है. शिवाजी के शौर्य पूर्ण इतिहास, चतुराई और गौरवशाली इतिहास को आने वाली पीढ़ी जाने, इसलिए ऐसा किया जा रहा है. यह सांस्कृतिक चेतना का एक अध्याय होगा, जो आगरा में नई क्रांति लाएगा.
एक महापुरुष के नाम पर दो संग्रहालय की क्या जरूरत ?
इतिहासकार राजकिशोर राजे का कहना है कि पहले ही शिल्पग्राम के पास छत्रपति शिवाजी के नाम पर संग्रहालय बन रहा है. उनके ही नाम पर अब दूसरा संग्रहालय बनाया जाना उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि सपा सरकार में बनाए जा रहे मुगल संग्रहालय को लेकर खूब पत्राचार किया था, जिसका विरोध भी हुआ था. इसके बाद भाजपा सरकार ने मुगल म्यूजियम का नाम बदल दिया. शहर में पहले ही अन्य दो और म्यूजियम हैं. इसलिए शिवाजी के नाम पर दूसरा म्यूजियम बनाने का कोई औचित्य ही नहीं है.
जिसका नाम बदला, उसे ही चालू कर दें
सपा के प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने कहा कि सपा सरकार में इतना बड़ा म्यूजियम आगरा में बनाया गया. जब भाजपा सरकार आई तो सीएम योगी ने उसका नाम शिवाजी संग्राहलय कर दिया. उन्होंने कहा कि पहले ही एक म्यूजियम का नाम शिवाजी रख दिया तो अब नया शिवाजी के नाम से दूसरा म्यूजियम बनाने की आवश्यकता क्या है. पहले ही वो म्यूजियम बंद पड़ा है. वहां पर इतना सरकारी पैसा लगा है. उसे ही क्यों नहीं चालू कर देते हैं. उसी पर आप सारे रिसर्च वर्क पूरे क्यों नहीं कर लेते हैं. अनुराग भदौरिया ने कहा कि इसका मतलब यह है कि जो समाजवादी पार्टी ने जो काम किया है. उसे आप जनता के हवाले नहीं करना चाहते हैं. सिर्फ एक नया माहौल बनाना चाहते हो.
बता दें कि यमुना किनारा रोड पर वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की प्रतिमा लगाई जा रही है. वहीं, अब शिवाजी के नाम पर दूसरा संग्रहालय बनाने के लिए जमीन भी तलाशी जा रही है.