आगरा: सड़क परिवहन विभाग में इन दिनों अलग ही खेल चल रहा है. मामला विभाग के राजस्व के गबन से जुड़ा है. विभाग ने एक डिफॉल्टर के बेटे को तीन साल के लिए दुकान का आवंटन कर दिया है. मामले में रोडवेज के प्रबंधक निदेशक भी बोलने से बच रहे हैं.
ताजनगरी के सबसे पुराने बस अड्डे पर रोडवेज की ओर से आवंटित दुकानों में धोखेबाजों ने सेंधमारी कर ली है. रोडवेज विभाग को लाखों का चूना लगाने वाले व्यक्ति के दिव्यांग बेटे को दिव्यांग कोटे के तहत दुकान आवंटित कर दी गई. यह तब किया गया है, जबकि दिव्यांग के पिता के खिलाफ 2017 में रोडवेज ने ही धोखाधड़ी कर राजस्व गबन करने का मुकदमा दर्ज कराया था.
ये था मामला
साल 2017 में रोडवेज ने बस अड्डों पर बनी दुकानों को ठेके पर दिया गया था. इसके तहत रामहंस को एक दुकान आवंटित हुई थी. रामहंस को विभाग में 17 हजार रुपये मासिक किराया जमा करना था, लेकिन रामहंस ने किराया जमा नहीं कराया. विभाग ने आरोपी रामहंस को किराया जमा कराने के लिए कई नोटिस भी जारी किए. बावजूद इसके आरोपी ने किराया जमा नहीं कराया.
विभाग ने लंबित किराये का आंकलन किया तो तकरीबन 37 लाख रुपये की रिकवरी रामहंस से की जानी थी. विभाग ने रामहंस के खिलाफ धोखाधड़ी और गबन के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया. रामहंस पैसे नहीं दे पाया तो विभाग ने जिलाधिकारी से आरोपी की संपत्ति कुर्की कराने का आग्रह भी किया, लेकिन मामले में ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी.