आगराःयूपी के नगर निगमों में बोर्ड का कार्यकाल 17 जनवरी को समाप्त हो गया है. सूबे के सभी 17 निगम की कमान वहां के नगरायुक्त के हवाले है, क्योंकि यूपी में ओबीसी आरक्षण की वजह से नगरीय निकाय चुनाव टल गए हैं. ओबीसी आरक्षण को लेकर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में शरण ली और ओबीसी आरक्षण के लिए कमेटी बनाई है.
इसी बीच अखिल भारतीय महापौर परिषद ने नगरीय निकाय चुनाव के तक वर्तमान महापौरों का कार्यकाल बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी है. इसमें नगर निगम अधिनियम की धारा 15(3) को आधार बनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका स्वीकार करके राज्य सरकार के संबंधित विभागों को नोटिस जारी किए हैं. अखिल भारतीय महापौर परिषद की याचिका पर 27 जनवरी- 2023 को सुनवाई होनी है. यूपी में पहले भी ऐसा हो चुका है. अभी, सभी नगर निगमों की कार्यकारिणी के स्थान पर डीएम की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी ही निगम के बड़े मामलों पर निर्णय लेगी.
बता दें कि यूपी सरकार ने पांच दिसंबर 2022 को 17 नगर निगम, 199 नगर पालिका और 545 नगर पंचायतों में चुनाव कराने के लिए आरक्षण की अधिसूचना जारी की थी. ओबीसी आरक्षण के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई, जिसमें यूपी सरकार पर आरक्षण तय करने में सुप्रीम कोर्ट के ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले का पालन नहीं करने का आरोप लगाया गया. इसको लेकर यूपी सरकार भी सुप्रीम कोर्ट में चली गई, जिससे ही नगरीय निकाय चुनाव अटक गए हैं.
नगर निगम अधिनियम की धारा 15(3) बनाई आधार
अखिल भारतीय महापौर परिषद के अध्यक्ष व आगरा महापौर नवीन जैन का कहना है कि परिषद ने नगर निगम अधिनियम की धारा 15(3) के तहत नगर निगम में महापौर का कार्यकाल नए महापौर तक होता है. इसी धारा को आधार बनाकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. इस बारे में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के संबंधित विभागों को नोटिस जारी किए हैं. अखिल भारतीय महापौर परिषद की याचिका पर सुनवाई 27 जनवरी को होनी है.