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आगरा की चंबल सफारी में बसेगी टेंट सिटी, पर्यटक कर सकेंगे ऊंट की सवारी - आगरा चंबल सफारी

आगरा की चंबल सफारी में पर्यटकों की सहूलियतें बढ़ाने की तैयारी हो रही है. आखिर ये सुविधाएं कौन-कौन सी होंगी चलिए जानते हैं इस खास खबर के जरिए.

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Published : Jan 6, 2023, 8:12 PM IST

आगरा: चंबल का नाम जुबान पर आते ही दिमाग में कुख्यात दस्यु और डकैतों की तस्वीरें बन जाती हैं. क्योंकि, दशकों तक चंबल दस्युओं की पनाहगाह रहा है. हालांकि अब चंबल नदी (Chambal River) की गोद में मगरमच्छ, घड़ियाल, डाल्फिन और विलुप्त होते बटागुर कछुआ का कुनबा बढ़ रहा है. इसके साथ ही प्रवासी पक्षियों का भी नया आशियाना चंबल बन गया है. ऐसे में योगी सरकार (yogi government) अब चंबल नदी और उसके बीहड़ में ईको टूरिज्म (eco tourism) की अपार संभावनाएं देख रही हैं इसलिए पिनाहट से आगे नदगवां में टेंट सिटी बसाने की तैयारी है. यहां पर बर्ड वाचर्स, वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर्स, एडवेंचर्स और जंगल सफारी पसंद करने वाले लोग नाइट स्टे कर सकेंगे. इसके अलावा पर्यटक ऊंट की सवारी समेत कई सुविधाओं का लुत्फ उठा सकेंगे.

आगरा की चंबल सफारी में पर्यटकों की सहूलियतों में इजाफे की तैयारी.
बता दें कि केंद्र सरकार ने सन् 1979 में राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश में चंबल नदी को लेकर राष्ट्रीय चंबल सेंचुरी प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी. जिससे संकटग्रस्त घड़ियाल बचाए जाएं. अब चंबल नदी में घड़ियाल के साथ ही मगरमच्छ, डाल्फिन और विलुप्त होते बटागुर कछुओं का कुनबा तेजी बढ़ रहा है. अब चंबल की धारा में जलचर विचरण करते हैं और प्रवासी पक्षी भी खूब कलरव करते हैं.
चंबल सफारी पर्यटकों को अब काफी लुभाएगी.
योगी सरकार का सूबे में ईको टूरिज्म पर जोर है. इसके लिए सरकार ने ईको-टूरिज्म विकास बोर्ड का गठन किया है. ईको-टूरिज्म विकास बोर्ड के जरिए सरकार यूपी में ईको टूरिज्म की संभावनाएं तलाश रही है. इसी कड़ी में चंबल सेंचुरी प्रोजेक्ट (Chambal Century Project) के डीएफओ की ओर से चंबल नदी क्षेत्र में ईको टूरिज्म को लेकर सुविधाएं बढ़ाने के लिए एक नया प्लान बनाकर सरकार को भेज दिया है. इससे चंबल के किनारे बीहड़ में पर्यटक, वन्यजीव प्रेमी और बर्ड्स लवर रात गुजार सकें.
सैलानियों के आकर्षण का बड़ा केंद्र है चंबल सफारी.
चंबल सेंचुरी प्रोजेक्ट के डीएफओ दिवाकर प्रसाद श्रीवास्तव का कहना है कि मार्च-2023 से चंबल की बालू में घड़ियाल की टेस्टिंग शुरू होगी. फिर 60 से 80 दिनों के बाद जून में हैचिंग होगी. एक नेस्ट में मादा 35-60 अंडे देती हैं जिनकी जीपीएस से लोकेशन को ट्रेस की जाती है. सन् 2019 की बात करें तो चंबल में 1876 घड़ियाल थे. इसके बाद बाढ़ के प्रभाव के चलते सन् 2020-21में घड़ियाल की संख्या 1872 रह गई थी. चंबल में 584 मगरमच्छ और 140 डॉल्फिन मिली थी.
चंबल सफारी में बसेगी टेंट सिटी.
उन्होंने बताया कि चंबल नदी और उसके बीहड़ में ईको टूरिज्म की अपार संभावनाएं हैं. देश-विदेश में चंबल सेंचुरी विख्यात है. इस वजह से सर्दियों में पर्यटक भ्रमण के लिए आते हैं जो चंबल नदी में बोटिंग करके धूप सेंकते हैं. सर्दियों में घड़ियाल और मगरमच्छ का वाष्किंग (धूप सेंकने) का समय होता है. मगर, सर्दियों में चंबल में ज्यादा बोटिंग कराने से जलीय जीवों की वाष्किंग पर असर पड़ेगा. इससे जलीय जीवों की लाइफ पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. वाष्किंग नहीं करने से उनकी जान भी जा सकती है. इसका भी ख्याल रखना है. ईको टूरिज्म तभी ज्यादा सक्सेज होगा. हम उस क्षेत्र की बॉयोडायवर्सिटी को बिल्कुल डिस्टर्ब नहीं करेंगे. चंबल सेंचुरी प्रोजेक्ट के डीएफओ दिवाकर प्रसाद श्रीवास्तव ने बताया कि ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने और सैलानियों के नाइट स्टे के लिए नदगवां स्थित इंटरप्रिटेशन सेंटर चिन्हित किया है. यहां पर तमाम सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी. चंबल में टेंट सिटी विकसित की जाएगी. यहां पर पर्यटक नाइट स्टे करेंगे और कैमिल की सवारी करेंगे. इसके अलावा जीप सफारी, पैदल ट्रैकिंग के साथ ही चंबल नदी में मोटर बोटिंग की व्यवस्था की डीपीआर तैयार की गई है. सर्दियों में विदेशी सैलानियों को चंबल की धरती का स्वर्ग जैसी लगती है इसलिए, चंबल सेंचुरी में ईको टूरिज्म के डेवलपमेंट के साथ सेंसिटिव जोन बनाया जाएगा.पक्षी विशेषज्ञ डॉ. केपी सिंह ने बताया कि, चंबल सफारी प्रवासी पक्षियों में डोमीसाइल क्रेन, इंडियन स्कीमर, ग्रेट व्हाइट पेलिकन, डालमेशन पेलिकन, नोर्दन शोवलर, नोर्दन पिनटेल, काॅमन टील, बार हेडेड गूज, ग्रे लैग गूज, ब्लैक-टेल्ड गोडविट, ब्राउन-हेडेड गल, ओरिएंटल डार्टर, ग्रेटर कोर्मोरेन्ट, स्पूनबिल, पेन्टेड स्टार्क, यूरेशियन कूट, रिवर टर्न, रूडी शेल्डक, मलार्ड, कॉटन पिग्मी गूज, टैमिनिक स्टिंट, रेड क्रिस्टिड पोचार्ड, काॅमन पोचार्ड, रफ, मार्श सेन्डपाइपर, बुड सेन्डपाइपर, ग्रीन शेन्क, रैड शेन्क, गारगेनी, वेगौन, गेडवाल, वेगटेल को खूब भा रही है. उन्हें यहां पर भरपूर भोजन मिल रहा है. इस वजह से इन पक्षियों का यहां डेरा बना रहता है. ये भी पढ़ेंः ओमप्रकाश राजभर ने दी 10 रुपये में 3 साल तक सुरक्षा की गारंटी

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